” सरोज “
हरियाणा के एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता रहता था, जिसका नाम रणबीर था। बचपन से ही अल्हड़ और मस्तमौला रणबीर खेती के काम से बहुत घबराता था। पढ़ने का तो मानो बिल्कुल भी मन नहीं करता था उसका। घरवाले डराकर स्कूल भेज देते तो किसी न किसी बहाने से वापिस घर भाग आता था। 7वीं कक्षा तक तो ऐसे ही चलता गया, लेकिन 8वीं की परीक्षा बोर्ड की होने के कारण घरवालों को उसकी चिंता सताने लगी। डांट फटकार लगाकर घर वाले उसे पढ़ने के लिए बिठाते थे। आखिरकार परीक्षा का समय आ ही गया था। पिताजी ने साफ कह दिया था कि अगर फेल हुआ तो खेती बाड़ी शुरू कर देना। गिर पड़ कर रणबीर तीसरी श्रेणी में पास हो गया। अब तो वह फूले नहीं समा रहा था। वादे के मुताबिक़ पिताजी ने अगली कक्षा में दाखिला करवा दिया। साथ साथ ही घरवाले शादी के लिए लड़की ढूंढने लगे। थोड़े दिन बाद सरोज के साथ रणबीर की शादी कर दी गई। सरोज पढ़ी लिखी 9वीं पास लड़की थी। रणबीर को सरोज से बहुत लगाव था। उसने खेती का काम बिलकुल छोड़ दिया तथा घर के काम में सरोज की सहायता करने लगा। उसने सरोज को भी कभी खेती का काम नहीं करने दिया। आस पड़ोस वाले सभी ताने मारना शुरू हो गए कि सारा दिन लुगाई की सेवा करता है। रणबीर ने जमाने की एक भी नहीं सुनता तथा सरोज का बहुत ध्यान रखता था। एक बार घर में पानी खत्म हो गया तो सरोज कुएं से पानी भरने चली गई। वहां सभी उसका मजाक बनाने लगे कि आज महारानी महल से बाहर कैसे निकल आई। इतनी देर में रणबीर भी दूसरा घड़ा लेकर कुएं पर पहुंच गया था। उसके दिखते ही एक औरत ने कहा कि घड़ा उठाकर तो महारानी परेशान हो जाएगी, घर में काम करने वाले नौकर लगाले। रणबीर को वह बात इतनी इतनी खटक गई कि उसने अगले दिन ही कुएं से लेकर अपने घर तक पानी की लाईन बिछवाली ताकि पानी घर तक आसानी से आ सके। अगले साल दोनो ने एक साथ 10वीं कक्षा में दाखिला ले लिया तो घरवालों ने बहुत विरोध किया कि गांव से बहु पढ़ने नहीं जाएगी। लेकिन रणबीर ने किसी की नहीं सुनी। उसी साल दोनों ने 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करली। इसके बाद घरवालों की बात को टालकर सरोज का जी एन एम में दाखिला करवा दिया। सरोज अपना कोर्स पूरा कर रही थी तभी रणबीर को रेलवे में सरकारी नौकरी मिल गई। 3 साल का कोर्स पूरा होते ही रणबीर सरोज को अपने साथ दिल्ली ले गया तथा दोनों वहीं रहने लगे। थोड़े दिन बाद घर में बच्चों की किलकार सुनाई दी तथा दो बेटियों का जन्म हुआ। दोनों अपनी बेटियों के साथ खुशी खुशी रहने लगे। सरोज ने आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला ले लिया तथा सरकारी नौकरी की भी तैयारी करने लगी। दो साल बाद एक साथ दो खुशियों ने दस्तक दी। बहनों को छोटा भाई मिल गया तथा सरोज की सरकारी नौकरी लग गई। सरोज की पोस्टिंग गांव में हुई तो वो बच्चों के साथ वहीं रहने लगे। सरोज ने ऑफिस जाना शुरू किया तो बच्चों की देखभाल की आवश्यकता पड़ी। परिवार वालों ने कहा कि सरोज की नौकरी छुटवादो। रणबीर ने आव देखा ना ताव खुद की नौकरी से इस्तीफा दे दिया तथा बच्चों को संभालने लगा। आस पड़ोस और परिवार वाले ताने मार मार के खुद ही बंद हो गए। समय बीतने के साथ साथ दोनों की मेहनत रंग लाई तथा उनके तीनों बच्चे सरकारी नौकरी लग गए। ”
हरियाणा के एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता रहता था, जिसका नाम रणबीर था। बचपन से ही अल्हड़ और मस्तमौला रणबीर खेती के काम से बहुत घबराता था। पढ़ने का तो मानो बिल्कुल भी मन नहीं करता था उसका। घरवाले डराकर स्कूल भेज देते तो किसी न किसी बहाने से वापिस घर भाग आता था।
7वीं कक्षा तक तो ऐसे ही चलता गया, लेकिन 8वीं की परीक्षा बोर्ड की होने के कारण घरवालों को उसकी चिंता सताने लगी। डांट फटकार लगाकर घर वाले उसे पढ़ने के लिए बिठाते थे। आखिरकार परीक्षा का समय आ ही गया था। पिताजी ने साफ कह दिया था कि अगर फेल हुआ तो खेती बाड़ी शुरू कर देना।
गिर पड़ कर रणबीर तीसरी श्रेणी से पास हो गया। अब तो वह फूले नहीं समा रहा था। वादे के मुताबिक़ पिताजी ने अगली कक्षा में दाखिला करवा दिया। साथ साथ ही घरवाले शादी के लिए लड़की ढूंढने लगे। थोड़े दिन बाद सरोज के साथ रणबीर की शादी कर दी गई। सरोज पढ़ी लिखी 9वीं पास लड़की थी।
रणबीर को सरोज से बहुत लगाव था। उसने खेती का काम बिलकुल छोड़ दिया तथा घर के काम में सरोज की सहायता करने लगा। उसने सरोज को भी कभी खेती का काम नहीं करने दिया। आस पड़ोस वाले सभी ताने मारना शुरू हो गए कि सारा दिन लुगाई की सेवा करता है। रणबीर जमाने की एक भी नहीं सुनता तथा सरोज का बहुत ध्यान रखता था।
एक बार घर में पानी खत्म हो गया तो सरोज कुएं से पानी भरने चली गई। वहां सभी उसका मजाक बनाने लगे कि आज महारानी महल से बाहर कैसे निकल आई। इतनी देर में रणबीर भी दूसरा घड़ा लेकर कुएं पर पहुंच गया था। उसके दिखते ही एक औरत ने कहा कि घड़ा उठाकर तो महारानी परेशान हो जाएगी, घर में काम करने वाले नौकर लगाले।
रणबीर को वह बात इतनी इतनी खटक गई कि उसने अगले दिन ही कुएं से लेकर अपने घर तक पानी की लाईन बिछवाली ताकि पानी घर तक आसानी से आ सके। अगले साल दोनो ने एक साथ 10वीं कक्षा में दाखिला ले लिया तो घरवालों ने बहुत विरोध किया कि गांव से बहु पढ़ने नहीं जाएगी। लेकिन रणबीर ने किसी की नहीं सुनी। उसी साल दोनों ने 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करली।
इसके बाद घरवालों की बात को टालकर सरोज का जी एन एम में दाखिला करवा दिया। सरोज अपना कोर्स पूरा कर रही थी तभी रणबीर को रेलवे में सरकारी नौकरी मिल गई। 3 साल का कोर्स पूरा होते ही रणबीर सरोज को अपने साथ दिल्ली ले गया तथा दोनों वहीं रहने लगे। थोड़े दिन बाद घर में बच्चों की किलकार सुनाई दी तथा दो बेटियों का जन्म हुआ। दोनों अपनी बेटियों के साथ खुशी खुशी रहने लगे।
सरोज ने आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला ले लिया तथा सरकारी नौकरी की भी तैयारी करने लगी। दो साल बाद एक साथ दो खुशियों ने दस्तक दी। बहनों को छोटा भाई मिल गया तथा सरोज की सरकारी नौकरी लग गई। सरोज की पोस्टिंग गांव में हुई तो वो बच्चों के साथ वहीं रहने लगे।
सरोज ने ऑफिस जाना शुरू किया तो बच्चों की देखभाल की आवश्यकता पड़ी। परिवार वालों ने कहा कि सरोज की नौकरी छुटवादो। रणबीर ने आव देखा ना ताव खुद की नौकरी से इस्तीफा दे दिया तथा बच्चों को संभालने लगा। आस पड़ोस और परिवार वाले ताने मार मार के खुद ही बंद हो गए। समय बीतने के साथ साथ दोनों की मेहनत रंग लाई तथा उनके तीनों बच्चे सरकारी नौकरी लग गए।