“सरेआम मोहब्बत हैं तुझसे मुझे “(मुक्तक)
“सरेआम मोहब्बत हैं तुझसे मुझे ”
(मुक्तक)
बाखुदा मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
बेपनाँ मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
मोहब्बत को मेरी यूँ मापा न कर।
बेइंतहा मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
समंदर की गहराई तक मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
फ़लक की ऊंचाई तक मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
मोहब्बत को मेरी यूँ रूस्वा न कर।
कयामत की हदाई तक मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
बेदाग मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
बेबाक मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
मोहब्बत का मेरी यूँ हिसाब न कर।
बेहिसाब मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
सुबे-शाम मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
बेलगाम मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
मोहब्बत को मेरी यूँ छुपाया न कर।
सरेआम मोहब्बत हैं तुझसे मुझे।
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “