*सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है (हिंदी
सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है (हिंदी गजल)
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1)
सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है
जटिल हो रहा जीवन ऐसा, जैसे भूलभुलैया है
2)
संघर्षों की कड़ी आग में, तप कर निखरा है कुंदन
पथ पर बिछे हुए फूलों की, कहीं न सुख की शैया है
3)
थामे रहो डोर हाथों से, दूर गगन तक उड़ जाना
घर-परिवार अगर छूटा तो, कटी हुई कनकइया है
4)
क्या अस्तित्व तुम्हारा जग में, पल भर में मिट जाओगे
सागर पार कराने वाला, ईश्वर सिर्फ खिवैया है
5)
नैसर्गिक गुण भरे हुए हैं, दुनिया के हर प्राणी में
सुंदरता में मोर अनूठा, कोयल बड़ी गवैया है
6)
बुरे व्यक्ति से बचकर चलना, इसमें ही है अच्छाई
बुरा खटखना कुत्ता समझो, बिच्छू और ततैया है
7)
कठपुतली-सा नाच रहा जग, ऊपरवाले के हाथों
मिला रहा सुर में सुर मानव, करता ता-ता-थैया है
8)
सदियों से चल रही कहावत, अब भी सच्ची ही जानो
सारे रिश्ते झूठे जग में, सबसे बड़ा रुपैया है
9)
जिसने पाला-पोसा उसका, कम अधिकार नहीं ऑंको
लाल नंद के कृष्ण कन्हैया, और यशोदा मैया है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451