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4 Apr 2024 · 2 min read

सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..

अनेकों बार हम कुछ बेकार पड़ी चीजों को महत्वहीन समझकर फेंक देते हैं।परंतु बेकार तथा व्यर्थ समझी जाने वाली चीजों से भी उत्कृष्ट तथा आकर्षक वस्तुएं तैयार की जा सकती हैं।आईटीआई नरेला में संचालित वेल्डर व्यवसाय के शिल्प अनुदेशक नसीब सभ्रवाल भी अपनी ट्रेड के प्रशिक्षुओं के साथ मिलकर बेकार पड़ी लोहे की वस्तुओं से बेहतरीन कलाकृतियां बनाने के लिए जाने जाते हैं।नसीब सभ्रवाल अब तक कार्यालय में व्यर्थ पड़ी लोहे की वस्तुओं से अनेक प्रकार की मुंहबोलती कलाकृतियां तैयार कर चुके हैं।यह छोटी-छोटी कलाकृतियां बरबस ही लोगों का मन मोह लेती हैं।आईटीआई नरेला की वेल्डिंग कार्यशाला में नसीब सभ्रवाल प्रशिक्षुओं के साथ मिलकर बेकार पड़े सरिए से अभी तक हिरण,जिराफ,कुत्ता ,हाथी तथा घोड़ों की प्रतिकृतियां बना चुके हैं।
यह प्रतिकृतियां देखने में इतनी आकर्षक हैं कि यह लोगों को अनायास ही अपनी तरफ खींच लेती हैं। तन्मयता से अपने कार्य में तल्लीन रहने वाले शिल्प अनुदेशक नसीब सभ्रवाल पशुओं की प्रतिकृतियां तैयार करने के अलावा विविध प्रकार के मॉडल बनाकर भी आईटीआई नरेला का नाम रोशन कर रहे हैं। इन प्रतिकृतियां के अतिरिक्त भी शिल्प अनुदेशक नसीब सभ्रवाल वेल्डर ट्रेड के प्रशिक्षुओं के साथ मिलकर बहुत सी प्रतिकृतियां डिजाइन कर चुके हैं।इनमे मुख्य रूप से साइकिलों तथा बाईकों के मॉडल प्रमुख हैं। इसके अलावा लोहे के पुराने सरियों से इन्होंने कई पेड़ भी आईटीआई नरेला के लिए बनाए हैं।लोहे से निर्मित यह पेड़ अत्यंत आकर्षक प्रतीत होते हैं।इनके द्वारा लोहे के नटों से बनाया गया विद्युत लैंप इनके तकनीकी कौशल की उत्कृष्टता को बखूबी प्रकट करता है। वेल्डिंग लैब में इनकी देखरेख में तैयार की गई मनुष्यों की कई प्रतिकृतियां भी अत्यंत सम्मोहक दिखती हैं।इसके अतिरिक्त नटों से बनाए गए मुखौटे भी नसीब सभ्रवाल के तकनीकी कौशल की बानगी को परिलक्षित करते हैं। इनके कुशल नेतृत्व में तैयार किए गए ये सभी लुभावने मॉडल खराब लौह सामग्री से ही तैयार किए गए हैं। आईटीआई नरेला की वेल्डर ट्रेड में तैयार किए गए इन मॉडल्स की लोग मुक्त कंठ से प्रसंशा करते हैं। इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में इस्तेमाल होने वाले सभी मशीनी ऑपरेशन पूरी तन्मयता से किए जाते हैं। देखा जाए तो कार्यशाला में विविध प्रकार के मॉडल्स को बनाने के लिए कई मशीनी ऑपरेशनों की आवश्यकता होती है। इनमे प्रमुख रूप से मार्किंग, कटिंग,वेल्डिंग,ग्राइंडिंग,बेंडिंग, तथा फिनिशिंग जैसे ऑपरेशंस प्रमुख होते हैं ।प्रशिक्षुओं को टीम वर्क का महत्व समझाकर उन्हें टीम भावना के अनुरूप ही कार्य को पूरा करने की सीख दी जाती है। आईटीआई नरेला की वेल्डर कार्यशाला में तैयार होने वाले प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए प्रशिक्षुओं को अलग-अलग कार्य आवंटित किया जाता है।इसका मूल उद्देश्य यहीं होता है कि प्रत्येक प्रशिक्षु अपने कार्य को गहनता से आत्मसात कर ले। शिल्प अनुदेशक नसीब सभ्रवाल का कहना है कि तकनीकी युग में उत्कृष्ट सोच से ही आगे बढ़ा जा सकता है।टेक्नोलॉजी में नित्य हो रहे बदलावों के साथ कदमताल करके ही हम आगे बढ़ सकते हैं।

-नसीब सभ्रवाल,

शिल्प अनुदेशक वेल्डर,

आईटीआई नरेला।

Mo -9716000302/8053604536

Language: Hindi
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