सरहद पर रहने वाले जवान के पत्नी का पत्र
रुत आया है सावन का
और मौसम है सुहाना
ऐसे मे तुझे ढूँढ रहा है
दिल मेरा यह दिवाना।
तुझे मे याद आऊँ न आऊँ
पर यह दिल तुम्हे
रोज याद करता है
रोज तुम्हें लेकर यह
नए, नए ख्वाब बुनता है
कैसे समझाऊँ इस पगली
क्यो ऐसे यह करती है।
क्यो रोज ख्वाब बुनकर
उसे पुरा करने को कहती है
जबकि उसको भी मालूम है
तुम सरहद पर रहते हो
हमसे से भी ज्यादा तुम
देश से प्यार करते हो
तेरी इसी अदा पर तो
हमने दिल तुम्हे दिया था
तुम करना तन मन से
देश की सेवा
देश पर आँच न आने देना
तुम मेरी फिक्र न करना
हम दिल को समझा लेगे
इस सावन मे देश को तुम
दुश्मन की बुरी नजर न लगने देना
भारत माता का लाल है तु
पहले माँ का कर्ज चुकाना
इस सावन अपने देश को
और सुन्दर बनाना
देश की सुन्दरता चार चाँद लगाना
फिर बाद मेरे संग साजन
तुम समय बिता लेना।
~अनामिका