[[सरहद पे जवान]]
सरहद पे जवान
// दिनेश एल० “जैहिंद”
देश के रक्षक हैं सरहद पे जवान
बम, गोले, तोप, रॉकेट हैं जवान
दिन-रात मुस्तैद सेना सरहद पर,,
अमन-चैन, गति-प्रगति हैं जवान
राष्ट्र के मान और ईमान हैं जवान
राष्ट्र की शानो – शौकत हैं जवान
राष्ट्र से हैं जवान, जवान से राष्ट्र,,
राष्ट्र – ध्वज का सिंगार हैं जवान
हाथ में बन्दूक सजती सर पे टोपी
खूब जमती सुडौल बदन पे वरदी
छैल-छबीला, बाँका छोरा, गब्बरु,,
करे देश की रक्षा गर्मी हो या शर्दी
खून अपना देकर मिट्टी को पूजता
भूखे, प्यासे रहकर मिट्टी को गढ़ता
तेरा कर्म है सबसे पूण्य ओ महान,,
रक्षा सबकी बलिदान देकर करता
तू है शत्रुओं का शत्रु तीर – कमान
कोटि-कोटि नमन् मेरा वीर जवान
तू बर्छी, भाला, कटार है तलवार,,
शत-शत है प्रणाम मेरे धीर जवान
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दिनेश एल० “जैहिंद”
22. 02. 2019