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18 Jul 2020 · 1 min read

सरस्वती वंदना

प्यार की ज्योत दिल में जला दीजिये
मात तम नफरतों का मिटा दीजिये

स्वार्थ की भावना यूँ प्रबल हो रही
टूट रिश्ते रहे, आस्था खो रही
बोल तीखे सहन शक्ति की है कमी
इसलिये दिल दुखी आँख में भी नमी
आप दिल में मधुर स्वर सजा दीजिये
मात तम नफरतों का मिटा दीजिये

कर्म ही भाग्य है भाग्य ही कर्म है
सिर्फ इंसानियत ही बड़ा धर्म है
धन कमाया कभी साथ जाता नहीं
आदमी पर समझ बात पाता नहीं
ज्ञान का मार्ग सबको दिखा दीजिये
मात तम नफरतों का मिटा दीजिये

अपने माता पिता की करें अर्चना
हो न इससे बड़ी कोई आराधना
पाप की राह से दूर ही हम रहें
और अन्याय को भी कभी न सहें
सत्यता से जगत जगमगा दीजिये
मात तम नफरतों का मिटा दीजिये

18-07-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 513 Views
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