सरस्वती वंदना
हरिगीतिका छंद
★★★★★★★
हे भारती! तप साधिका विद्या,कला,शुभदायिनी।
हे मात! नत मस्तक नमन है, वंदना नित नंदिनी।
माँ!सौम्य रूपा,चंद्र वदनी,श्वेत वर्णी योगिनी।
है श्वेत सारी में सजी ब्रह्मा सुता सन्यासिनी।
कर में सदा वीणा सुशोभित ,ब्रह्म ज्ञानी पावनी।
हे मात! नत मस्तक नमन है, वंदना नित नंदिनी।
माथे मुकुट है स्वर्ण का शुभ, हस्त पुस्तक धारिणी।
संगीत की देवी! भवानी,मात! मंगलकारिणी।
हर शब्द तेरा गीत तेरा ,भगवती! मनमोहिनी।
हे मात !नत मस्तक नमन है, वंदना नित नंदिनी।
पद्मासना हंसासना,माँ!, मेह प्रिय नित वाहिनी।
माँ !कर कृपा खुश हो हमें वर ,दान दो वरदायिनी।
अपराध सब कर दे क्षमा करुणालया शुभ कामिनी।
हे मात! नत मस्तक नमन है, वंदना नित नंदिनी।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली