सरस्वती वंदना
हरिगीतिका छंद-
हे शारदे !वरदायनी माँ! कर कृपा वरदान दो।
हे मात! वीणावादिनी माँ! दिव्यता का ज्ञान दो।
हे भगवती!जगदम्बिका माँ! वत्सला कमलासना।
सविनय निवेदित वंदना माँ! कर रहें नित प्रार्थना।
हे वैष्णवी !कमलासिनी माँ! निज चरण स्थान दो।
हे शारदे !वरदायनी माँ! कर कृपा वरदान दो।
हे ज्ञान की देवी भवानी! , ज्ञान का भंडार दो।
रसवंत हो रसना सरस सुर,,तान गति,लय, धार दो।
हे वेद माता! लेखनी में,भाव का संज्ञान दो।
हे शारदे !वरदायनी माँ! कर कृपा वरदान दो।
हे सौम्य रूपा साधवी माँ!, कर रहे नित साधना।
शुभ शोभिता!करुणालया माँ! ,पूर्ण हो मन कामना।
वागीश! वीणावादिनी माँ! नित नवल उत्थान दो।
हे शारदे !वरदायनी माँ! कर कृपा वरदान दो।
हे ब्रह्म ज्ञानी! पावनी माँ! श्वेत वर्णी भारती।
हे नंदिता सुखदायनी माँ! नित करूँ मैं आरती।
हे विश्व की संचालिनी माँ!जीत का प्रतिमान दो।
हे शारदे !वरदायनी माँ! कर कृपा वरदान दो।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली