*सरस्वती वंदना* 2
सरस्वती वंदना
रहे आवाज में जादू, गले में जान दे दो माँ।
मधुर धुन गुनगुनाने को, मधुर सी तान दे दो माँ।।
हे वीणा वादनी माता, हे हंसा वाहनी माता।
तुम्ही हो ज्ञान की देवी, तुम्ही से ज्ञान है आता।।
जिसे गाये जमाना वो, सुरीला गान दे दो माँ।
मधुर धुन गुनगुनाने को, मधुर सी तान दे दो माँ।।
करे सब आरती तेरी, करे सब वंदना तेरी।
करो माँ ज्ञान की बरसा, करे आराधना तेरी।।
तेरे भंडार से हमको, जरा सा ज्ञान दे दो माँ।।
मधुर धुन गुनगुनाने को, मधुर सी तान दे दो माँ।।
नहीं पूजा कोई जानूँ, मेरी माँ मैं अनाड़ी हूँ।
रखो तुम हाथ सिर पर माँ, दया का मैं भिखारी हूँ।।
अधूरा है जो बरसो से, मेरा अरमान दे दो माँ।।
मधुर धुन गुनगुनाने को, मधुर सी तान दे दो माँ।।
सदा गुणगान हो तेरा, यही अरमान मेरा है।
जहाँ सम्मान हो तेरा, वहीं सम्मान मेरा है।।
मेरे भीतर तेरी हस्ती, का थोड़ा दान दे दो माँ।
मधुर धुन गुनगुनाने को, मधुर सी तान दे दो माँ।।
सभी स्रोता, सभी वक्ता, के मन मस्तिष्क में आना।
सुने सबको गुने सबको, हे माँ सबको लखा जाना।।
जो सोये में सुने वो श्वान जैसे कान दे दो माँ।।
मधुर धुन गुनगुनाने को, मधुर सी तान दे दो माँ।।
-साहेबलाल दशरिये ‘सरल’