सरस्वती वंदना
वीणा वादिनी ओ माता, हंस वाहिनी ओ माता।
चार वेद धारिणी मां, ज्ञान का प्रकाश दे।।
है घना अंधेरा घेरे, दूर हो गये सबेरे।
मुझको उजालों वाली, राह पे तू डाल दे।।
तोड़ दे ये बेड़ियां तू, सारे बन्ध खोल दे तू।
मुझको हे शारदे मां, भव से उवार दे।।
मैं बड़ा ही बेसहारा, तेरा ही तो है सहारा।
मूरख बड़ा ही हूं मैं, तार दे मां तार दे।।