सरस्वती वंदना
जय वाणी, वर दे कल्याणी.
शोभित है वीणा पाणी में,
सुधा बरसती है वाणी में,
दानी है भुवन भर की माँ,
तूँ भी माँग वर दे कल्याणी.
जय वाणी, वर दे कल्याणी.
हंस पर रहता आसन है,
श्वेत पट तेरा ही वसन है,
पाकर चरण धूलि कालि भी,
महाकवि बन जाता ज्ञानी.
जय वाणी, वर दे कल्याणी.
जय वाणी, वर दे कल्याणी.