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3 Feb 2021 · 1 min read

सरस्वती वन्दना

सरस्वती वन्दना
हरिगीतिका छन्द
2212 2212 2212 2212

कर जोड़कर विनती करूँ, माँ ज्ञानदा पद्मासिनी!
विद्या विनय सुरताल दो, हे शारदे हंसासिनी!!

चलती रहे जो अनवरत, ऐसी कलम को धार दो!
मतिमंद मूरख दास को, अज्ञानता से तार दो!!
रसना सदा रसवंत हो, वागीश वीणावादिनी!
विद्या विनय सुरताल दो, हे शारदे हंसासिनी!!

माँ हो सबल मम लेखनी, ह्रदमें नवल नित भाव दो!
निष्ठा रहे साहित्य में, हमको हमेशा चाव दो!!
वाणी मधुर मुख से कहूँ, सुरवंदिता सौदामिनी!
विद्या विनय सुरताल दो, हे शारदे हंसासिनी!!

माँ सत्यपथ पर ही चलूँ, मुझको नवल उत्थान दो!
है दास अब तेरी शरण, माँ निज चरण स्थान दो!!
अपराध मेरे कर क्षमा, करुणामयी कमलासिनी!
विद्या विनय सुरताल दो, हे शारदे हंसासिनी!!

अभिनव मिश्र अदम्य

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 4 Comments · 288 Views
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