*सरस्वती जी दीजिए, छंद और रस-ज्ञान (आठ दोहे)*
सरस्वती जी दीजिए, छंद और रस-ज्ञान (आठ दोहे)
(बालकांड के श्लोकों से प्रेरित दोहे)
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1
सरस्वती जी दीजिए, छंद और रस-ज्ञान
मंगलमय आशीष दें, श्री गणेश भगवान
2
सदा भवानी और शिव, दें मुझको वरदान
देखूॅं अंतर में बसे, सुंदर कृपानिधान
3
वंदनीय गुरुदेव शिव, जिनकी देन महान
टेढ़ा यद्यपि चंद्रमा, पाता जग में मान
4
जिनके मन सीता बसीं, जिनके मन अभिराम
वालमीकि हनुमान को, सौ-सौ बार प्रणाम
5
नमन-नमन सीता नमन, नमन-नमन सौ बार
कल्याणी रखतीं जगत, करती हैं संहार
6
दृश्य-जगत भ्रम मानिए, तरने वाले राम
वंदनीय वश में किए, असुर-देव सब नाम
7
राम न दशरथ-पुत्र हैं, राम-नाम अभिराम
जग के स्वामी राम हैं, राम ब्रह्म का नाम
8
धन्य-धन्य जो तृण नहीं, लोभ-मोह के पास
अंतर के सुख के लिए, लिखते तुलसीदास
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451