सरसी मुक्तक
सरसी मुक्तक
मात्रा भार-१६-११
शशि से लेकर के तुम चांदी, दिनकर से लो स्वर्ण।
बासंती बयार से चुनलो, सुगंधित कमल पर्ण।
उजला हो तन मन भीतर से खूब बढ़ाओ प्रीत,
तिमिर अवसाद घट जाएगा,उठेगा खिल मन वर्ण।
@@@@@@@@@@@@@@@@@@
वात खुशी की बहती झरझर, मन मधुमास छाया।
रिमझिम रिमझिम पड़ी फुहारें,सावन मेघ लाया।
आकाश पाश में सिमटी भू,खिली सांवली घटा,
प्राची सुमुखी लाल खिल रही,जीव कंज खिलाया।
नीलम शर्मा