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3 Feb 2023 · 1 min read

सरसी छंद

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सरसी छंद
********
दुर्गम पथ अंजान डगर है, संग न कोई मीत ।
लक्ष्य दूर है चलते जाना, गाते-गाते गीत ।।
मंजिल उनको ही मिलती है, जो करते हैं‌ कर्म ।
थक जाये राही कितना भी, चलना उसका धर्म ।।
*
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
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