सरसी छंद
🦚
सरसी छंद
********
कोमल कलियाँ फूल बनें तो, उड़ता है मकरंद ।
ऐसे ही मन की डाली पर , महका करते छंद ।।
उर में अठखेली करते जब, लहरों जैसे भाव ।
कविता करती है किलोल तब, ज्यों नदिया में नाव !
*
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🌿🌿🌿