सरसी छंद
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!!श्रीं !!
सुप्रभात ! जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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सरसी छंद- मात्रिक ! 27 मात्रा,
16-11 पर यति, चरणांत गाल
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नमन शारदा के चरणों में , कृपा कीजिये मात ।
देना सबको ज्ञान हमें माँ, सध जायें स्वर सात ।।
छंदों की लय उर बस जाये, गूँजें मन में गीत ।
माता महके सदा काव्य में, चंदन जैसी प्रीत ।।
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कोमल कलियाँ फूल बनें तो, उड़ता है मकरंद ।
ऐसे ही मन की डाली पर , महका करते छंद ।।
उर में अठखेली करते जब, लहरों जैसे भाव ।
कविता करती है किलोल तब, ज्यों नदिया में नाव !।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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