सरसी छंद
सरसी छंद
विषय _छम-छम छमकी पायल जैसे,
शृंगार रस – संयोग ( सरसी छंद गीत 16/11 )
फूल तोड़ने आयी सीता, आये रघुवर बाग।
छम-छम छमकी पायल जैसे, गाये कोयल राग।।
चंद्र चकोरी सिय को देखा, सब कुछ भूले राम।
रोम रोम है पुलकित होता, मधुर मिलन की शाम ।।
देख राम को सिया लजाये, उमड़ा मन अनुराग ।
छम-छम छमकी पायल जैसे, गाये कोयल राग।।
मंद मंद मुस्काते राघव, सिय को तकते नैन।
नैनों से नैना जब लड़ते, नैन करें हैं बैन ।।
पुष्प लताएं बातें करती, जागे हमरे भाग।
छम-छम छमकी पायल जैसे, गाये कोयल राग।।
सिया राम को मुड़ मुड़ देखे,कंपित होता गात ।
प्रेम विवश हो मन घबराए, जाने क्या है बात।।
मन ही मन तो माने सीता , रघुवर अमर सुहाग।
छम-छम छमकी पायल जैसे, गाये कोयल राग।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’