सरसी छंद
सरसी छंद
शृंगार संयोग
पुष्प वाटिका राम पधारे
फुलवारी का कण कण महके,चंदन जैसी धूल।
पुष्प वाटिका राम पधारे, चुन चुन रखते फूल ।।
पूजा करने आई सीता, राम मिले हैं आज।
राम निहारे अपलक सीता, सिय को आये लाज।
मृग नयनी ने ऐसे देखा, राम गए सब भूल।
पुष्प वाटिका राम पधारे, चुन चुन रखते फूल ।।
देख राम को सिय मुस्काये, उमड़ा उर अनुराग।
छम्म छम्म बजती पायल उनकी,जैसे कोई राग।।
मधुर मिलन की आयी बेला, रही प्रेम में झूल।
पुष्प वाटिका राम पधारे, चुन चुन रखते फूल ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’