*सरल सुकोमल अन्तर्मन ही, संतों की पहचान है (गीत)*
सरल सुकोमल अन्तर्मन ही, संतों की पहचान है (गीत)
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सरल सुकोमल अन्तर्मन ही, संतों की पहचान है
1
मर्यादा में जीवन जीना, शुभ आचार-विचार है
सत्य सादगी मितव्ययता ही, जिनका नित्य प्रचार है
जिनके जीवन में किंचित भी, नहीं कहीं अभिमान है
2
पर-नारी को सदा मातृवत, नजरों से ही देखा
खिंची हुई जीवन में जिनके, है अनुशासन-रेखा
स्वर्ण और मिट्टी का ठेला, जिनको एक समान है
3
संतों की संगत से मानव, मन निर्मल हो जाता
जिन्हें संत मिलते उनका, जुड़ता शुचिता से नाता
ज्ञान अहिंसा का जग को, संतों ने किया प्रदान है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451