*सरदार पटेल का सपना अभी अधूरा है*
सरदार पटेल का सपना अभी अधूरा है
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यह केवल सरदार पटेल का ही बूता था जो उन्होंने 500 से ज्यादा देसी रियासतों को भारतीय संघ में विलीन करवा दिया । उनके जैसी दृढ़ इच्छा शक्ति और कूट-कूट कर भरी हुई देशभक्ति अगर आजादी के समय गृह मंत्रालय संभाल रहे व्यक्ति के भीतर न होती और वह शक्ति की दृष्टि से देश की प्रथम पंक्ति का प्रथम व्यक्तित्व न होता तो आज हम देश के भीतर सैकड़ों की संख्या में स्वतंत्र रियासतें देखने के लिए अभिशप्त होते । हर राजा और नवाब भारत की केंद्रीय सत्ता को चुनौती दे रहा होता तथा देश कुछ न कर पाता । भारत बहुत सी रियासतों और कुछ केंद्र के नियंत्रण वाले क्षेत्रों का एक लचीला संघ बनकर रह जाता ।
आज जो संघवाद की दुहाई दी जाती है और कहा जाता है कि भारत तो अनेक राज्यों से मिलकर बना हुआ संघीय व्यवस्था के द्वारा संचालित देश है ,तब क्या कुछ कहा जाता, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। रियासतों के राजा और नवाब केंद्र सरकार के किसी भी आदेश को अपनी रियासत में लागू करने से मना कर सकते थे। उसके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाना तो बाएं हाथ का खेल था । जब आज कदम-कदम पर भारत की केंद्रीय सत्ता को विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में असहाय स्थिति में देखा जा सकता है ,तब तुनकमिजाज राजाओं महाराजाओं की तो बात ही कुछ और होती ।
यहीं पर आकर सरदार पटेल का स्मरण बहुत ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है। केंद्रीय सत्ता को चुनौती देने की स्थिति भारत के किसी भी भूभाग के शासक को नहीं मिलनी चाहिए ,यह एकीकृत भारत के निर्माण के सरदार पटेल के स्वप्न की पहली शर्त थी। इसका मतलब यह था कि कोई राज्य स्वयं में इतना शक्तिशाली न होने पाए कि वह भारत को ही चुनौती दे सके अथवा भारत सरकार की रीति नीतियों पर प्रश्न चिन्ह लगा दे अथवा केंद्र की नीतियों को लागू करने से मना कर दे । ऐसी स्थिति में अब यह बहुत प्रासंगिक हो गया है कि हम राज्यवाद की बढ़ती हुई प्यास को सीमित करें तथा राज्यों की शक्तियों को भारत सरकार के खिलाफ खड़ा होने की हद तक जाने से बलपूर्वक रोकें।
विशेष रुप से पुलिस का दुरुपयोग एक गंभीर चिंता का विषय है जो राज्य सरकारों के द्वारा केंद्र के विरुद्ध किया जा रहा है। संविधान के अंतर्गत केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस केंद्र के आधीन होती है । भले ही वहां चुनी हुई विधानसभा हो तथा मुख्यमंत्री भी क्यों न हो । इसका सुपरिणाम हमें दिल्ली में देखने में आता है जहां केंद्र सरकार के आधीन पुलिस होने के कारण रोजमर्रा के केंद्र-राज्य के झगड़ों से यह देश बचा हुआ है। इसी तरह जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति में आ जाने से वहां पुलिस पर सीधा नियंत्रण केंद्र सरकार का है और इस तरह सुचारू नियंत्रण स्थापित करने में राष्ट्रीय एकरूपता देखने में आ रही है ।
कुल मिलाकर राष्ट्र को चुनौती देने वाली शक्तियों से पूरी ताकत के साथ निपटा जाना चाहिए । अगर राज्य सरकार का ढांचा इसमें आड़े आ रहा है तो स्थितियों में परिवर्तन लाना जरूरी हो जाता है । राज्यवाद देश के हित में नहीं है । हमें एक मजबूत केंद्रीय सत्ता की गहरी आवश्यकता है । इसी में एक भारत श्रेष्ठ भारत का भाव निहित है ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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