सरदार पटेल और सोमनाथ मंदिर—————-
आज़ादी से पहले जूनागढ़ रियासत के नवाब ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फ़ैसला किया था. लेकिन भारत ने उनका फ़ैसला स्वीकार करने के इनकार करके उसे भारत में मिला लिया.
भारत के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल 12 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ पहुंचे. उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिए और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया.
सरदार पटेल, केएम मुंशी और कांग्रेस के दूसरे नेता इस प्रस्ताव के साथ महात्मा गांधी के पास गए.
ऐसा बताया जाता कि महात्मा गांधी ने इस फ़ैसले का स्वागत किया, लेकिन ये भी सुझाव दिया कि निर्माण के खर्च में लगने वाला पैसा आम जनता से दान के रूप में इकट्ठा किया जाना चाहिए, ना कि सरकारी ख़ज़ाने से दिया जाना चाहिए.
सरदार पटेल की पत्नी झावेर बा कैंसर से पीड़ित थीं. उन्हें साल 1909 में मुंबई (उस समय बंबई) के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.
अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान ही झावेर बा का निधन हो गया. उस समय सरदार पटेल अदालती कार्यवाही में व्यस्त थे. कोर्ट में बहस चल रही थी. तभी एक व्यक्ति ने कागज़ में लिखकर उन्हें झावेर बा की मौत की ख़बर दी.
पटेल ने वह संदेश पढ़कर चुपचाप अपने कोट की जेब में रख दिया और अदालत में जिरह जारी रखी और मुक़दमा जीत गए. जब अदालती कार्यवाही समाप्त हुई तब उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु की सूचना सबको दी.
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