आइये तर्क पर विचार करते है
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
वर्तमान सरकारों ने पुरातन ,
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
यह चाय नहीं है सिर्फ़, यह चाह भी है…
क्रिसमस से नये साल तक धूम
नज़र भर देखने के लिए चेहरा छिपाना पड़ता है,
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
** मन में यादों की बारात है **
भाग्य की लकीरों में क्या रखा है
Independence- A mere dream
जय हो जनता राज की
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम