सरकार और परिवार
********सरकार और परिवार********
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एक तरफ परिवार था एक तरफ सरकार,
सिर ऊपर लटकी हुई थी तीखी तलवार।
उलझन से बाहर निकल किया पलटवार,
परिवार को छोड़ महोदय थी चुनी सरकार।
भाग्य बदला मिली सत्ता छोड़ घर संसार,
आमजन से खासहै हुए आप के सरदार।
सरकार बनी याद आया फिर घर परिवार,
खोज रहे CM दुल्हनिया दूल्हा असरदार।
सरकार तो पूरी हुई है याद आया परिवार,
फैसले की आई घड़ी क्या करेगा सरदार।
मनसीरत मुबारक डॉक्टरी रूप उपहार,
सियासत का खूब होगा अब हार श्रृंगार।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)