सरकारी
एक भारतीय औसत इंसान अपने जीवन काल मे एक सरकारी नौकरी करके जीवन की तमाम कठिनाइयों को पार करके बिताना पसंद करता है। इस सरकारी नौकरी के लिए वह ना जाने कितनी कोशिश करता रहता है,आप यह समझ सकते है कि जितनी सिद्दत से वह अपनी पत्नी और पति से प्रेम नहीं करेगा/करेगी, उतनी सिद्दत से वह अपनी नौकरी से प्रेम करेगा/करेगी,चाहे इस सिद्दत भरी कोशिशों में जीवन का रस ही क्यूं ना निकल जाए।
खैर इस बात को यही पर विराम देकर इसके सफ़र पर बात करना सही रहेगा,
अंशिका आज बहुत खुश हैं और अपनी खुशी होंठों पर जताने के साथ साथ पैरों पर भी बता रही है, आंखों में हल्की सी नमी लेकर किसी से मिलने की एक चाह लिए और हाथों मे एक छोटा सा गिफ्ट लिए पहुंच जाती है।
किताबो और पन्नो के साथ खोया हुआ जो लड़का दूर कौने में बैठा हुआ है। उसके पास अपने आप कब पहुंच जाती है ,अंशिका को खुद पता नही चलता।
ऋतिक समझ जाता है कि वो आ चुकी है लेकिन पन्नों के शब्दों में खुद को भुलाया हुआ अंशिका की तरफ ध्यान भी नहीं दे पाता। इस नजर न मिलाने का कुछ थोड़ा- सा अफसोस अंशिका को हो जाता है लेकिन अपने भाव को छुपाती हुई सामने बैठ जाती है और हल्की नमी भरी आंखों से ऋतिक की आंखों में मानो कुछ पलो के लिए डूबना चाहती है ।
ऋतिक शब्दों के अर्थों के इल्म को जानने मे कुछ इस तरह व्यस्त मानों अंशिका की आंखों की नमी उसको काले अक्षरों में भी नही दिखाई देती है।
इस बार पलको को झुका जब अंशिका आंखे खोलती है तो वो नमी गायब हो चुकी होती है।
और तभी ऋतिक कहता है बहुत सुंदर लग रही हो,काजल तुम्हारा अक्षरों जैसा है,बाल मानो जैसे मात्रा लगा रहे हो।
इतना सुनने के बाद,
अंशिका कुछ कहने को होती ही है कि इसी बीच वेटर आ जाता है
सर -ऑर्डर
ऑर्डर मैं कहा दे सकता हूं,सामने बैठी मैडम ऑर्डर देगी
अंशिका कुछ इस तरह ऑर्डर देती है मानो जैसे ऋतिक की पसंद को जानती हो – एक कप ब्लैक कॉफी और एक चाय।
तभी ऋतिक कहता है- आपने सुना,ऑर्डर मैडम का ही रहेगा हमेशा।
ऋतिक,
अंशिका को कुछ बताने ही वाला होता है कि अंशिका बीच मे बोल पड़ती है,जैसे ऋतिक का यहां बैठना उसको पसंद ना हो।
पूरे विश्वविद्यालय परिसर मे तुम्हे यही जगह क्यो मिलती है?
क्योंकि यही वह जगह है जहां पहली बार किसी का होना मुझे पाने जैसा लगा।ऋतिक यह जवाब कुछ इस तरह देता है जैसे सवाल उसको पता हो।
तुम और तुम्हारी बाते कभी समझ मे क्यों नहीं आती,इस बार अंशिका गुस्से मे कहती है।
गुस्सा जताना उसका हक भी बनता है
सुबह सुबह इतना तैयार होकर आई है जैसे कोई लड़का लड़की देखने आया हो और लड़का है कि अच्छे से देख भी नहीं रहा।
अंशिका चाहती है, थोड़ा ही सही लेकिन कुछ कीमती समय उसको भी मिले,जो ऋतिक अपनी किताबों को दिए जा रहा है।
इसी बीच ऋतिक,अंशिका की खामोशी को पहचान जाता है और फिर तारीफों का अंबार लगा देता है।
अंशिका तुम्हारी
आंखों का काजल बहुत अच्छा लग रहा है,मानो स्याही चित्र बना रही हो।
तुम्हारे बालों की खुशबू,
और यह हल्के गुलाबी रंग का तुम्हारा लिबाज़,किसी कलि के फूल बनने की तरफ ले जाता है।
तुम्हारी होंठ,इसके आगे कहने को होता ही है कि
अंशिका बोल पड़ती है,
क्या बना के रखा है तुमने,कभी स्याही,कभी खुशबू,कभी फूल। तुम लड़के एक जैसे होते हो बस।
अपनी रुकी हुई बात मे खोया हुआ ऋतिक अब कुछ भी नही कह पाता और शांति से ब्लैक कॉफी को पीना शुरू कर देता है।
बात, अब दोनों की आधी होती हुई कॉफी के साथ फिर से शुरू होती है।
ऋतिक कुछ बोलने वाला होता ही है लेकिन तब तक अंशिका अपने होंटो पर
“आधी बनी स्माइली”
को नजर अंदाज करती हुई बोलती है मैंने कुछ ज्यादा ही बोल दिया तुम्हें बुरा लग गया होगा,तभी ऋतिक अंशिका की बात को बीच में रोकते हुए कहता है इसमें बुरा क्या लगना,मेरी स्याही काली है और उसमें खुशबू भी नही है, ना ही उससे रंगबिरंगे फूल बन सकते है। तुम्हारे सामने मेरे ये विशेषण कुछ भी नहीं है……
“अंशिका को जितनी खुशी आने मे हुई थी,उससे ज्यादा दुःख जाने में होने वाला था,
ऋतिक अपनी रह गई बात को आगे बढ़ाना चाहता है कि अचानक से अंशिका,ऋतिक के होंठों पर हांथ रख बोलने से रोक देती है और एक ऐसा सवाल सामने रख देती है कि ऋतिक अब कुछ भी ना कहने की स्थिति मे पहुंच जाता है,
“क्या तुम अभी मुझसे शादी करोगे?”
ऋतिक थोड़ी देर के लिए एकदम शांत हो जाता है,और अंशिका के सवाल का उत्तर उसके होंठों पर बनी आधी स्माइली को मिटाते हुए कहता है-तुम समझदार हो, ऐसे सवाल करके अपनी समझदारी को कम मत करो।
यह जीवन भर साथ निभाने की जिम्मेदारियां लेने मे,मैं अभी सक्षम नहीं हूं।
तुम जानती हो,मेरे पेपर पास आने वाले है,अभी कितना कुछ पढ़ने को रह गया है और इस बार का मौका मेरा आखिरी मौका हो सकता है ………………..आखिर यह सरकारी तैयारी है…………
अंशिका, ऋतिक के होंठों पर हाथ रख ऋतिक को बोलने से रोक देती है।
कुछ दिनों बाद अंशिका फिर से तैयार होकर बाहर आती है ,लेकिन इस बार आंखों मे नमी और हाथ मे गिफ्ट की जगह चाय से भरे कुछ कप होते है।