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7 Dec 2023 · 1 min read

सरकारी नौकरी लगने की चाहत ने हमे ऐसा घेरा है

सरकारी नौकरी लगने की चाहत ने हमे ऐसा घेरा है
कि मानो जैसे पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही हो
यू ही एक कमरे में बैठकर जीवन गुजार रहे है
ना जाने कब तक चलेगा ये सिलसिला
अब तो ऐसा लगता है कि जैसे हमारी
मौत हमसे बाते कर रही हो
कभी कभी लगता है की मान लूं
वो बाते जो हमसे मौत कर रही हैं
पर पीछे से ऐसी आवाजे आती है
जैसे घरवालों की उम्मीदें हमको घेर रही हो

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