सरकारी चिकित्सक
गाँव चिकित्सा हम करें, घर आँगन को छोड़।
पब्लिक ताना मारती, साहब जी रणछोड़।1।
जनता खाये रेवड़ी,करती रोज विकास।
डाक्टर रिश्ते जोड़ कर,रहा मिटाता प्यास। 2।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम बलरामपुर
गाँव चिकित्सा हम करें, घर आँगन को छोड़।
पब्लिक ताना मारती, साहब जी रणछोड़।1।
जनता खाये रेवड़ी,करती रोज विकास।
डाक्टर रिश्ते जोड़ कर,रहा मिटाता प्यास। 2।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम बलरामपुर