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2 Nov 2024 · 1 min read

सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.?

सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.?
उधड़े रिश्ते पर फिर से तुरपाई क्यों?

प्यार कहूँ या कह दूँ इसको पागलपन,
जब जब आँखें चार हुईं सकुचाई क्यों?

हमले सब सीने पर मैंने झेल लिए,
आखिर तेरी सूरत यूँ मुरझाई क्यों…?

जाना तूने हाल मेरा क्या तेरे बिन..?
सुनकर सब तू खुद पर ही झल्लाई क्यों?

कसमें वादे तोड़ दिए सब मेरे ही,
फिर इन सुरमई आँखों में तन्हाई क्यों..?

अख़बारों में किस्से मेरे आम हुए,
तू उन ख़बरों को पढ़कर घबराई क्यों?

गीत ग़ज़ल में मैंने तुझको ही लिक्खा,
सुनकर उन ग़ज़लों को फिर शर्माई क्यों?

गुस्सा करना है आसां चुप रहने से,
बात समझ जब आई तो पछताई क्यों..?

ज़ुर्मे – मुहब्बत एक “परिंदा” कर गुजरा,
हर क़ातिल को सबने बात बताई क्यों..?

पंकज शर्मा “परिंदा” 🕊

Language: Hindi
38 Views

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