सम्मान
?
दे कर प्यार,
जो हमें
विदा हुए संसार से,
आओ करें
स्वागत उनका हम।
वो हुए पुरखो में शामिल
जो कभी थे साथ हमारे
आज सादर नमन उन्हें
मन के द्वार से।
पितर चरण में नमन करें,
ध्यान धरें दिन रात हम
कृपा दृष्टि हम पर करें,
साथ रहे आशीर्वाद सदा
ये कुटुम्ब है आपका,
आपका है परिवार।
आपके आशिर्वाद से,
फले – फूले संसार
भूल -चूक क्षमा करें
हैं आपकी हम संतान
बसे हैं हमारे हृदय में,
आपसे हैं जुड़ी,
हमारी पहचान।
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव