*सम्मान*
मुक्तक
जोर-जोर से चिल्लाना भर, शब्दों में कुछ जान नहीं।
बिना तथ्य की मिथ्या बातें, संदर्भों का ज्ञान नहीं।
बगुला जैसे श्वेत वसन धर,धीर सभा में हंसों की,
बैठ रहे मनमाने जन पर, पाते हैं सम्मान नहीं।
–©नवल किशोर सिंह
05/04/2024
मुक्तक
जोर-जोर से चिल्लाना भर, शब्दों में कुछ जान नहीं।
बिना तथ्य की मिथ्या बातें, संदर्भों का ज्ञान नहीं।
बगुला जैसे श्वेत वसन धर,धीर सभा में हंसों की,
बैठ रहे मनमाने जन पर, पाते हैं सम्मान नहीं।
–©नवल किशोर सिंह
05/04/2024