‘सम्मान’
‘सम्मान’
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“संस्कार के बगीचे में,सम्मान के फूल खिलते हैं;
काबिलियत के टहनी पर ही , ये पुष्प मिलते हैं।
पर यह सम्मानित पुष्प, हर कोई तोड़ नही पाते;
नसीब वाले ही , सम्मानित कुसुमित गुच्छ पाते।”
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©®✍️ पंकज कर्ण
>>>>>>>कटिहार।