सम्मान करो एक दूजे के धर्म का ..
सम्मान करो एक दूजे के धर्म का ,
है यही इंसानियत का फर्ज ।
मूर्ति पूजा करो इष्ट देव की या सजदा करो ,
मतलब तो इबादत से है ना ।
भेजा तुम्हे उस मालिक ने कई नामों/ रूपों से,
उसका तुम पर है कुछ कर्ज ।
अंतकाल से पहले निभा दोगे यदि ,
इंसानियत और नेकियां,
वही उसकी बही खाते में की जाएगी दर्ज ।
कोई खुदा ,कोई ईश्वर इजाजत नहीं देता ,
की तोड़ा जाए उसका घर ।
सब में है वोह विराजमान , रूह या पूजा स्थल ,
मृत्यु के बाद सभी जायेंगे उसी की डगर ।
समझते बुझते हुए भी ए नादानो,!
यह भेदभाव का क्यों पाल रखा है मर्ज।