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17 May 2021 · 1 min read

सम्भल जाओ अ नेताओं, ये जनता है, झुका देगी

सुनो और समझ लो ये ध्यान से अ नेताओं
के इस आग से न खेलो तुम
कुछ जागी है अभी और जागेगी
कुछ भड़की है अभी और भड़केगी
सम्भल जाओ अ नेताओं
ये जनता है झुका देगी

न समझो नादान इसको तुम
अगर ये फूल बरसाए
ये आई अपनी पर
तो कांटे भी चुभा देगी
सम्भल जाओ अ नेताओं
ये जनता है झुका देगी

न इतराओ के तुम इतना
बैठाया पलकों में गर तो
जिस लायक हो तुम
वो मन्ज़र भी दिखा देगी
सम्भल जाओ अ नेताओं
ये जनता है, झुका देगी

मिटा देगी, वजूद तुम्हारा
इसकी हसरत को न मारो तुम
किया रोशन तुम्हे इसी ने है
तो पल भर में ही दे बुझाएगी
सम्भल जाओ अ नेताओं
ये जनता है झुका देगी

©® मंजुल मनोचा ©®

Language: Hindi
1 Like · 377 Views
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