सम्बोधन
काले घनघोर बादलो के नीचे
निर्भीक खडे,
पलाश को देख याद आया
पहला प्यार यही पर
आस्तित्व में आया
ठीक अगले ही क्षण
सभी ने संज्ञा दे दी
‘अनस’ को बागी की
कि
अब ये कविता कहना प्रारंभ कर रहा है
काले घनघोर बादलो के नीचे
निर्भीक खडे,
पलाश को देख याद आया
पहला प्यार यही पर
आस्तित्व में आया
ठीक अगले ही क्षण
सभी ने संज्ञा दे दी
‘अनस’ को बागी की
कि
अब ये कविता कहना प्रारंभ कर रहा है