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24 Apr 2023 · 1 min read

समुद्र की पुकार

शांत रहने वाले समुद्र में हलचल है आज,
जैसे एक करवट में अशांत गिरेगी गाज़
चंद्रमा पूर्ण यौवनावस्था में बिखरे आगाज
इकट्ठा हुए मछुआरे, सिर पर लेकर ताज,
बाट जोहते लोग करते अमावस्या मोहताज
उठ खड़ी हुई सोई हुई सुनामी देखों आज
न पड़वा न ही पछवा उतर गये सिर से ताज
प्रकृति अस्तित्व अठखेलियां नहीं मोहताज
समुद्र की पुकार जन जीवन पुष्प मेरा समाज
आकाश सम शून्य, स्वभाव में रहता सहज,
सूरज सा तेज, बन भाप, उठ बन सरताज.
.
लहर हिलोरें ले रही ,सागर है तैयार,
रोम2 को छू रहे, सुन्दर स्वच्छ विचार ‌

✍️ ©स्वरचित

Language: Hindi
165 Views
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