समीक्षा रिपोर्ट- कवि सम्मेलन 273वां टीकमगढ़
गुरु_पूर्णिमा पर #मप्र_लेखक_संघ को हुआ कवि सम्मेलन
दिनांक-18-7-2021
(म.प्र.लेखक संघ एवं जय बुन्देली साहित्य समूह का संयुक्त आयोजन)
#टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ एवं ‘जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ’ के बेनर तले ‘गुरु पूर्णिमा एवं गुरु वंदना’ पर केन्द्रित 273वाँ आनलाइन आडियो कवि सम्मेलन आयोजित किया गया
जिसकी अध्यक्षता डाॅ. रेण जी श्रीवास्तव (भोपाल) ने की व मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ बुदेली कवि श्री जयंहिंद सिंह ‘जयंिहंद’ (पलेरा) रहे
जबकि विशिष्ट अतिथि श्री रामगेापाल जी रैकवार (टीकमगढ़) रहे।
कवि गोष्ठी का संचालन व संयोजन अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया तथा सभी का आभार श्री प्रदीप खरे ‘मंजुल’ ने माना।
सरस्वती वंदना से गोष्ठी शुभारंभ भोपाल से डाॅ. रेणु श्रीवास्वत जी ने सुनाया-
पधारो पधारो सादर पधरो मेरे गुरूवर तुम आसन धारो।
श्रीराम शर्मा नाम है तुम्हारा, अज्ञानियों को देते सहारा।।
गोण्डा (उ.प्र.) से श्री मनेाज कुमार जी ने पढ़ा-ं
जो कठिनाइयों पर सही मार्ग दिखलाते,
तो गलत राह से हमें बचाते।
मंडला से डाॅ. शरद नारायण खरे जी रचना सुनायी-
गुरूवर तुम तो ज्ञान हा,े हो सूरज का रूप।
शिष्यों को तुम दे रहे सदा सुनहरी धूप।।
टीकमगढ़ से म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ‘गुरू’पर केन्द्रित दोहे सुनाये-
गुरु तो सदैव बाटता, निज सुगंध ज्यौ फूल ,
उनके ही सदज्ञान से मिट जाते जग शूल।।
शिष्य बेई नोने लगे, गुरु कौ राखे ध्यान,
तन मन सेवा करे गुरु कौ ईसुर मान।।
पृथ्वीपुर के श्री कवि कल्याण दास ‘पोषक’ ने सुनाया-
चैतरफा दबे गुरु दर दर की ठोकर खा रय।
मन की चोट लगी है दिल पे काउ से नइ कै पा रय।।
टीकमगढ़ से प्रदीप खरे जी ‘मंजुल’ नेे सुनाया-
गुरुदेव तुम्हार चरणों में जन्मजन्म का नाता।
कृपा करो मुझपर अपनी दास ये शीष झुकाता है।।
पलेरा से जयहिंद सिंह ‘जयहिंद’ने गीत पढ़ा-
गुरु पूर्णिमा गुरु जी दर्शन भर-नैन
कृपा कोर ऐसी करो सदा रहे सुख चैन।।
खजुराहो से श्री परमलाल तिवारी जी नेे पढ़ा-
गुरु के समीप जाये सुने वीणा चित्त लाय मोह,हिय को नसाय।
टीकमगढ़ से श्री रामगोपाल जी रैकवार ने सुनाया-
गुरु प्रकाश के पुंज है, गुरु विवेक भंडार,
गुरु अशीष अमृत सरिस गुरु जीवन आधार।
टीकमगढ़ से श्री एस.आर.‘सरल’ ने सुनाया-
गुरु ज्ञानवान सदगुणी खान,गुरुता महान जग में छायी।
नदनवारा से श्री शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ने गीत पढ़ा सुनाया-
गुरु हमारे मात-पिता ब्रम्हा विष्णु महेश रे
चरण पखारों, नित दिन इनके है ईसुर का वेश रे।।
नैगुवा से रामानंद पाठकं ‘नंद’ने पढ़ा-
परम पिता सौ गुरु होत,है गुरु करवाये चिनारी,।
देवीनगर से श्री भगवात नारायण रामायणी ने पढ़ा-ं
उठो राम अब तुम पौरुष अपना दिखला दो,
करके कुछ इस जग को दिखला दो।।
लखौरा से श्री गुलाब सिंह यादव ‘भाउ’ ने गीत पढ़ा-
गुरु के पखारे दोइ पइया, दोइ भर भर बंइया।
टीकमगढ़ से श्री डी.पी. शुक्ला ने सुनाया-
गुरु महिमा गाने का है सार,
होती महिमा बहुत बडी उनकी अपरम्पार।
देरी से श्री श्याम मोहन नामदेव’ ने गीत पढ़ा-
पहले वंदन माँ वाणी को बल बुद्यि को जो दे,
दूजा नमन गुरु चरणों में जिनमें ब्रम्हा विष्णु महेश।।
आदि ने रचनाएँ सुनायी।
– रपट-#राजीव_नामदेव ‘#राना_लिधौरी’
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