Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2022 · 3 min read

समानता या उग्र नारीवाद

चलो आज हम अवलोकन करते हैं कि क्या ये वही भारत है, जिसकी सोच हमारे स्वतंत्रता सेनानी रखते थे! जिस सोच के साथ भारत के संविधान का गठन किया गया था।

क्या ये वही भारत है जो आज आप और हम सोचते है कि हमारा देश कुछ ऐसा होगा। नहीं ना।
क्या हमारे देश में आज महिलाओं और पुरुषों में समानता है?
आज जहां हम सोचते है कि महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है और उनकी सुरक्षा के लिए नए-नए कानून बना रहे है! वहीं जरूरतमंद महिलाए जो सच में उत्पीड़न का शिकार हो रही है उनको उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों की जानकारी ही नहीं है! और वे अत्याचार सहती चली जा रही है ।

वहीं कुछ महिलाए अपनी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का फायदा उठा रही हैं! सिर्फ चंद पैसों के लिए, अपने एहम को संतुष्ट करने के लिए, पुरुषों को बदनाम करने के लिए!
यकीन नहीं होता ना तो सरबजीत वाला किस्सा देख लो, लखनऊ की थप्पड़बाज महिला को ही ले लो! सिर्फ यही नहीं दिल्ली की महिला जो पुलिस कर्मियों पर हाथ उठा रही है!

और ऐसे एक दो नहीं कई मामले हमे देश के अंदर आए दिन देखने को मिलते हैं जहां लड़कियां अपने लिए बनाए गए कानूनों का फायदा उठाते हुए दिख जाती हैं। फिर चाहे वो दहेज को लेकर हो, छेड़छाड़ हो या रेप जैसे संवेदनशील मुद्दे ही क्यों ना हो! वे ऐसे इल्जाम किसी निर्दोष आदमी पर लगाते हुए ज़रा भी नहीं हिचकिचाती।

तो आज सशक्तीकरण की ज़रूरत किसे है महिलाओं को या पुरुषों को?

आज एक तरफ जहां महिलाएं हर फील्ड में चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो, खेल हो, कोई प्रोफेशनल फील्ड हो या कोई और क्षेत्र, हर जगह अपने आप को साबित कर रही है कि वो भी बेहतर है बस उनको मौका मिलना चाहिए! वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसी भी महिलाए है जो फेमिनिज्म के नाम पे सिर्फ मर्दों के खिलाफ नफरत फैला रही हैं और ‘ऑल मेन्स आर डॉग्स’ से तो आप सब वाकिफ ही होंगे।

आज महिलाए ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के पोस्ट पे अभद्र टिप्पणियां कर रही है
तो क्या ये सब अगर कोई पुरुष करता तो इन चीजों को इतने ही आसानी से लिया जाता?

जहां हम आज पुरुष और महिला में कोई भेद नहीं करते तो आज गलत करने वाली महिलाओं के लिए कोई कानून क्यों नहीं? सिर्फ इसलिए कि वो महिलाए है? वो किसी भी निर्दोष इंसान पे इल्जाम लगायेंगी?
आज जहां हम इक्वेलीटी की बात करते है तो कानून भी दोनो के लिए समान होना चाहिए। चाहे वो पुरुष हो या महिला ।

ये सवाल है हमारे कानून के लिए और हर उस व्यक्ति के लिए जो ये सोचता है कि महिला सशक्तिकरण की आज भी बेहद जरुरत है ? क्या अब पुरुष अपने आप को प्रताड़ित महसूस नहीं कर रहे है? क्यों पुरुषों के लिए कोई आगे नहीं आता? क्यों उनके अधिकारों की बात नहीं होती? क्यों उनके लिए कानून समान नहीं है?

क्या आपको नहीं लगता कि अब महिला नहीं पुरुष शाशक्तिकरण की ज़रूरत है?

रक्षिता बोरा

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 569 Views

You may also like these posts

लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
दोहा पंचक. . . शीत शृंगार
दोहा पंचक. . . शीत शृंगार
sushil sarna
जो जीते जी इंसान की कद्र नहीं करता।
जो जीते जी इंसान की कद्र नहीं करता।
Rj Anand Prajapati
हम अपने घर में बेगाने
हम अपने घर में बेगाने
Manoj Shrivastava
2122/2122/212
2122/2122/212
सत्य कुमार प्रेमी
मेरे प्रभु राम आए हैं
मेरे प्रभु राम आए हैं
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
जागरूकता
जागरूकता
Neeraj Agarwal
इश्क़ हो गया।
इश्क़ हो गया।
Kuldeep mishra (KD)
दे दो
दे दो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
व्यवहार अपना
व्यवहार अपना
Ranjeet kumar patre
दोहा-प्रहार
दोहा-प्रहार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संकट..
संकट..
Sushmita Singh
4691.*पूर्णिका*
4691.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#ਮੇਰੇ ਉੱਠੀ ਕਲੇਜੇ ਪੀੜ
#ਮੇਰੇ ਉੱਠੀ ਕਲੇਜੇ ਪੀੜ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*चढ़ता है अभिमान जब, करता सत्यानाश (कुंडलिया)*
*चढ़ता है अभिमान जब, करता सत्यानाश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गीत
गीत
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
संपूर्ण राममय हुआ देश मन हर्षित भाव विभोर हुआ।
संपूर्ण राममय हुआ देश मन हर्षित भाव विभोर हुआ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
खूबसूरती एक खूबसूरत एहसास
खूबसूरती एक खूबसूरत एहसास
Dr fauzia Naseem shad
मन के मीत
मन के मीत
Ramswaroop Dinkar
শত্রু
শত্রু
Otteri Selvakumar
हिन्दी‌ की वेदना
हिन्दी‌ की वेदना
Mahesh Jain 'Jyoti'
“कभी मन करे तो कुछ लिख देना चाहिए
“कभी मन करे तो कुछ लिख देना चाहिए
Neeraj kumar Soni
■ अनियंत्रित बोल और बातों में झोल।।
■ अनियंत्रित बोल और बातों में झोल।।
*प्रणय*
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
माना तुम रसखान हो, तुलसी, मीर, कबीर।
माना तुम रसखान हो, तुलसी, मीर, कबीर।
Suryakant Dwivedi
*अनमोल वचन*
*अनमोल वचन*
नेताम आर सी
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
Ravi Betulwala
ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर त्याग सब सुख समृद्धि का आधार
ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर त्याग सब सुख समृद्धि का आधार
पूर्वार्थ
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
कवि रमेशराज
अपवित्र मानसिकता से परे,
अपवित्र मानसिकता से परे,
शेखर सिंह
Loading...