समाज से जुड़े रहना जरुरी
-: समाज से जुड़े रहना जरूरी :-
आप अपने समुदाय के बगैर
जिन्दा नहीं रह सकते हो
अगर रहने की करोगे तुम
कोशिश तो मर जाओगे उन दो
टीडीयों के जोड़े की तरह जो रह
गया अपने विशाल दल से पीछे
सुबह धूप होते ही आया था
पश्चिम की और से टीडीयों का
एक दल मंडरा गया आकाश में,
हरे भरे पेड़ो पर गिरकर
कर रहा था उनको अल्हड़
जैसे कभी उन पर आये ही
नहीं हो बसंत के कोमल पान
पीछे रह गई सिर्फ टहनियां
हुआ कुछ यूँ की टीडीयों के दल
से दो टीडीयां पीछे रह गई
गिर गई धूप मे सुलगने लग गई
बिठाया मैंने एक पेड़ की छाँव में
डाला पानी उनकी तपती देह पे
और बिठा दिया पेड़ के पत्तों पे
कुछ समय बाद कुछ चिड़ियों और
चींटियों ने उन दो टीडीयों पर हमला
किया पेड़ से निचे गिरा दिया वो
दोनों आकाश की तरफ देखने लगे
कहीं नहीं दिख रहा था उनका टीडी
समुदाय वो अपने समाज से बिछड़ गए
कुछ क्षण जीवित रहे दोनों बाद मे
पता नहीं दोनों क्यों अचानक मर गए
क्योंकि नहीं रह सकता कोई जिन्दा
अपने कबीले के बिना एकता कोई
बंधन नहीं ताक़त है अगर लगे
आपको अपने समाज से बिछड़ना
अच्छा तो बिछड़ के आजमाओ तुम
–भगवान सिंह चारण डीडवाना
(नागौर )