समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
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समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता और क्रेता हो सकते है, परंतु पारिवारिक संबंधों के संरक्षक और समाज के पालक तो नहीं हो सकते और आप रामराज्य की बात करते हैं। कैसे?
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता और क्रेता हो सकते है, परंतु पारिवारिक संबंधों के संरक्षक और समाज के पालक तो नहीं हो सकते और आप रामराज्य की बात करते हैं। कैसे?