समसामायिक दोहे
सदाबहार दोहे——
1-
षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य
निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।।
2-
टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार
साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि बात।।
3-
रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी ताप
विजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।।
4-
जीवन जेल यात्रा अंतर ट्रॉयलअरु वेल
जीवन बहुत झमेला भोगअरुकलेश।।
5-
कटता नही टिकट शांत चित्त न विवेक
दल दल बुल बुला जैसे शस्त्र अनेक।।
6-
हरियाली झूमती बाली शगुन सुगंध विशेष
अविनि काया माया प्राणि जीवन खुशी अनेक।।
7-
लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार
घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।
8-
लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार
घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।
9-
बिंदिया चूड़ि कंगना एक दूजे का साथ
पतित पावनी पतन चलन चरित्र संघार।।
10-
कीच पुष्प में अंतर नही पैरों रौंदे जात
इत्र सुगंध दुर्गंध रंग बदरंग सब साथ।।
11-
देन लेन अपना नही देश राष्ट्र का दांव
वाह वाह कि चाह दिया सब गंवाया।।
12-
यश मिला नही नित जो था रहे गंवाए
पश्चातप नही लूट रहा सब हो रहे कंगाल ।।
13-
करनी भरनी सत्य नही भाग्य का खेल
भाग्य भगवान सच करनी धरनी मेल।।
14-
आज अतीत भविष्य जैसे रेल
करनी भरनी भाग्य सटीक बेमेल।।
15-
कृपा दया नही चाहिए उचित सत्कार
ज्ञान योग बैराग्य तपस्या ही मान।।
16-
धन बैभव लक्ष्मी माया सब अंधकार
सूरज सूर्य भी माया काया उजियार।।
17-
सूर्योदय संध्या दिवस पल प्रहर प्रवाह
नित निरंतर जग खेल है बेसुरा बेराग।।
18-
पर्व लोकतंत्र द्वेष द्वंद का भाव
जनता जानती नेताओ का हाल।।
19-
देश प्रेम स्वांग है जन जानत सच
पर्व लोकतंत्र का हो रहा बेअर्थ।।
20-
बृद्ध युवा असहाय जन जागरण राष्ट्र
भाई बंद करो चोचले सत्य सार्थकबात ।।
21-
मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास
जनता जनार्दन ही लोक तंत्र की आस।।
22-
मोल मत है सहभाग के बोल
सरकार आधार सुदृढ़ अनमोल।।
23-
निर्भय परख विचार इर्ष्या संसय त्याग
निरपेक्ष सार्थकता जिम्मेदार समाज।।
24-
अर्थहीन अधिकार न हो कोई भी हो
मत महत्वपूर्ण ऊपयोगी रहीम रमेश।।
25-
मतपत्र मत पेटिका बदल गया रूप
तकनीकी युग मे लापरवाही नही कबूल ।।
26-
मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास
जनता जनार्दन को लोक तंत्र की आस।।
27-
राष्ट्र समर्पित नेतृत्व बहुमत ताकत सारः
लोकतंत्र शक्ति जन कल्याण प्रभाव।।
28-
चिंतन सापेक्ष निष्ठा कार्य परिणाम
जाती धर्म नही उचित निष्पक्ष व्यवहार।।
29-
पृथ्वी आकाश में ध्रुव तारे अनेक
अंत भय भ्रम का ज्ञान ऊर्जा प्रकाश।।
30-
ना कोई राज रंक सत महिमा उजियार
जीवन सदा उत्साह जन्म जीवन आधार।।
31-
सच्चा पवन ज्ञान जीवन बोध मार्ग
भक्ति का मधुपान सत ईश्वर गुणगान।।
32-
छल छद्म प्रपंच रूढ़िवादी का दंश
प्राणि में भेद भाव समय समाज बेरंग।।
33-
गुरु शिष्य परंपरा मार्ग ज्ञान बैराग्य
तमस का उजियार सतत शिष्य अनुराग।।
34-
देश विदेश में स्वीकार सच है भगवान
काल पल प्रहर बढ़ता ईश्वर सत्य सारः।।
35-
अनुनय अनुयायी ईश्वर का भान
जान लिया जिसने युग कि पहचान।।
36-
सतगुरु कि कृपा ईश्वर स्वर वरदान
कर्म धर्म सच है कर्म करो निष्काम।।
37-
पाखंड प्रपंच का आडंबर ना हो साथ
आत्म साथ उपदेश वेद उपनिषद पुराण।।
38-
समानता युग सिद्धांत है द्वेष विद्वेष रार
शत्र शास्त्र ज्ञान है धर्म धैर्य मर्म समान।।
39-
प्राणि पराधीन नही आत्म बोध है एक
धर्म कहती नही मानव जाति अनेक।।
40-
पाप पान है मदिरा भय व्याधि मद्यपान
मदिरा पान जो करे डूबत मरत गजग्राह।।
41-
उत्साह अंतर्मन का बैराग्य ज्ञानप्रकाश
ईश्वर सत्य जीवन मोल अनमोल भाव।।
42-
जीवन मे शुभ संयम अरु संकल्प
भक्ति भाव का सच दूषित दूषण व्यर्थ।।
43-
अद्भुत अनमोल है जीवन का हर पल
संवेदना साक्ष है आने वाला पल पल।।
44-
त्याग तप व्रत जीवन का अनुराग
विधि विधान का सच प्राणि प्राण समान।।
45-
प्रेरणा एक ज्योति है जन जन कासाथ
दीपक एक प्रेम का प्रशस्त मार्ग है आप।।
46-
टिकट मिला नही संसय बरकरार
वैद्य नुख्से स्वर्ग नरक का अस्पताल।।
47-
जन्म राम का मर्यादा मूल्य संदेश
लाज आए नही नेता लूट रहे देश।।
48-
अपील दलील नही खारिज सब तर्क
आखिर काल समय क्षमा याचना व्यर्थ।।
49-
संकुचित सोच राह दम घुटता मरता
कथित व्यथित आचार फल कर्म भरता।।
50-
अल्प काल शिखर भाग्य कर्म सौभाग्य
निर्भय निश्चय जानिए चरित्र संस्कृति मार्ग।।
51-
ईटा पत्थर सब जोर शोर कि बात
लाठी डंडा आम खून खराबा का राज।।
52-
संवेदना क्या बात मछली मटन प्रदर्शन
मानव तन मन वेष हत्या नरभक्षी दर्शन।।
53-
मौसम नेता गिरगिट सम भाव के चाल
नैतिकता नही पल पल रंग बदलते भांड।।
54-
जनता फंस जाएगी वादे होंगे खाक
लोकतंत्र का पर्व अपना अपना दांव
55-
घर जेल में फर्क नही लोपतंत्र पड़ाव
पर्व प्रसन्न्ता बस सत्य सनातन प्रेम
56-
वर्षो का विवाद विजय राम का मर्म
सूर्य वंश हंस सूर्य तिलक का मान
57-
धन्य सकेतपुरी जय जय जय श्री राम
प्रथम चरण शुभ अंत चरण मोक्ष्य
58-
मत जनमत जन्म जीवन सोच
प्रभु को क्या जाने निसिचर उत्कोच
69-
कल्पना सोच गरीब निवारण मंत्र
यथार्थ सत्य शून्य नियत निति कुसंग
60-
भोजन भाषण विवाद बात कुतर्क
चीनी कि मिठास घातक मर्ज मवाद
61-
जन मत में हिस्सा मत प्रतिशत हद
बात हैरानी नही विजय मार्ग ही मद
62-
घोषणा कोरी लगे संकल्प लागत मीठ
अविश्वास विश्वास में सूक्ष्म रेखा है मीत
63-
संपत्ति वितरण विवरण दिवालिया सोच
गोल माल सब जनता का धन नोच
64-
मत व्यर्थ नही दान सोच विचार
गलती से ना मिले दुर्दशा कि आंच।।
65-
दान का मोल नही योग्य को दान
मत हर मूल्यवान जाना मत भूल।।
66-
अपने और पराए भेद भाव का अंत
निर्मल निश्चल मन मतदान विवेक
67-
हार जीत से परे मत न्याय निःस्वार्थ
लोकतंत्र का पर्व है परम प्रशन्नता मर्म।।
68-
महायज्ञ कि आहुति अनुष्ठान मान
मतदान निष्पक्ष सम्पूर्ण प्रमाण।।
69-
सुनना है सबकी चुनना है मन की
प्रतिनिधि ऐसा बात सुने जन जन की।।
70-
कर्म धर्म मे निपुण निश्छल निर्विकार
जन सेवा सत्कार ही उत्तम हो विचार।।
71-
अस्त्र शस्त्र का अंत मत शक्ति पर्याप्त
जय पराजय का मत समर्थ ही सारः।।
72-
परख ध्यान से तब मत दान
मत व्यर्थ नही महादान कल्याण।।
73-
चयन सही हो लालच भय स्वार्थ मुक्त
निर्भय निर्विकार मत सुयोग्य के युक्त।।
74-
मूल्यवान मत है पात्र को ही दान
कुपात्र को मत शक्ति मत परिहास।।
75-
व्यस्तता बहुत मतदान प्रथम कार्य
धर्म कार्य यह दान स्वंय पर उपकार।।
76-
भूल चुक माफ नही अनुष्ठान मतदान
शक्ति जन मत हद हस्ती अभिमान।।
77-
अच्छा नेता चुनना कठिन बहुत कार्य
संयम धैर्य आंकलन है सत्य विचार।।
78-
झूठ फरेब से बचो मत पावन दान
चुनना है वर्तमान भविष्य परिणाम।।
79-
लड़ना बंद करो सिर्फ करो विचार
चुने सब मजबूत स्वच्छ सरकार।।
80-
टिकट मिला नही संसय बरकरार
वैद्य नुख्से स्वर्ग नरक का अस्पताल।।
81-
जन्म राम का मर्यादा मूल्य संदेश
लाज आए नही नेता लूट रहे देश।।
82-
अपील दलील नही खारिज सब तर्क
आखिर काल समय क्षमा याचना व्यर्थ।।
83-
संकुचित सोच राह दम घुटता मरता
कथित व्यथित आचार फल कर्म भरता।।
84-
अल्प काल शिखर भाग्य कर्म सौभाग्य
निर्भय निश्चय जानिए चरित्र संस्कृति मार्ग।।
85-
ईटा पत्थर सब जोर शोर कि बात
लाठी डंडा आम खून खराबा का राज।।
86-
संवेदना क्या बात मछली मटन प्रदर्शन
मानव तन मन वेष हत्या नरभक्षी दर्शन।।
87-
मौसम नेता गिरगिट सम भाव के चाल
नैतिकता नही पल पल रंग बदलते भांड।।
88-
जनता फंस जाएगी वादे होंगे खाक
लोकतंत्र का पर्व अपना अपना दांव।।
89-
घर जेल में फर्क नही लोपतंत्र पड़ाव
पर्व प्रसन्न्ता बस सत्य सनातन प्रेम।।
90-
वर्षो का विवाद विजय राम का मर्म
सूर्य वंश हंस सूर्य तिलक का मान।।
91-
धन्य सकेतपुरी जय जय जय श्री राम
प्रथम चरण शुभ अंत चरण मोक्ष्य।।
92-
मत जनमत जन्म जीवन सोच
प्रभु को क्या जाने निसिचर उत्कोच।।
93-
कल्पना सोच गरीब निवारण मंत्र
यथार्थ सत्य शून्य नियत निति कुसंग।।
94-
भोजन भाषण विवाद बात कुतर्क
चीनी कि मिठास घातक मर्ज मवाद।।
95-
जन मत में हिस्सा मत प्रतिशत हद
बात हैरानी नही विजय मार्ग ही मद।।
96-
घोषणा कोरी लगे संकल्प लागत मीठ
अविश्वास विश्वास में सूक्ष्म रेखा है मीत।।
97-
संपत्ति वितरण विवरण दिवालिया सोच
गोल माल सब जनता का धन नोच।।
98-
पृथ्वी आकाश में ध्रुव तारे अनेक
अंत भय भ्रम का ज्ञान ऊर्जा प्रकाश।।
99-
ना कोई राज रंक सत महिमा उजियार
जीवन सदा उत्साह जन्म जीवन आधार।।
100-
सच्चा पवन ज्ञान जीवन बोध मार्ग
भक्ति का मधुपान सत ईश्वर गुणगान।।
101-
छल छद्म प्रपंच रूढ़िवादी का दंश
प्राणि में भेद भाव समय समाज बेरंग।।
102-
गुरु शिष्य परंपरा मार्ग ज्ञान बैराग्य
तमस का उजियार सतत शिष्य अनुराग।।
103-
देश विदेश में स्वीकार सच है भगवान
काल पल प्रहर बढ़ता ईश्वर सत्य सारः।।
104-
अनुनय अनुयायी ईश्वर का भान
जान लिया जिसने युग कि पहचान।।
105-
सतगुरु कि कृपा ईश्वर स्वर वरदान
कर्म धर्म सच है कर्म करो निष्काम।।
106-
पाखंड प्रपंच का आडंबर ना हो साथ
आत्म साथ उपदेश वेद उपनिषद पुराण।।
107-
समानता युग सिद्धांत है द्वेष विद्वेष रार
शत्र शास्त्र ज्ञान है धर्म धैर्य मर्म समान।।
108-
प्राणि पराधीन नही आत्म बोध है एक
धर्म कहती नही मानव जाति अनेक।।
109-
पाप पान है मदिरा भय व्याधि मद्यपान
मदिरा पान जो करे डूबत मरत गजग्राह।।
110-
उत्साह अंतर्मन का बैराग्य ज्ञानप्रकाश
ईश्वर सत्य जीवन मोल अनमोल भाव।।
111-
जीवन मे शुभ संयम अरु संकल्प
भक्ति भाव का सच दूषित दूषण व्यर्थ।।
112-
अद्भुत अनमोल है जीवन का हर पल
संवेदना साक्ष है आने वाला पल पल।।
113-
त्याग तप व्रत जीवन का अनुराग
विधि विधान का सच प्राणि प्राण समान।।
114-
प्रेरणा एक ज्योति है जन जन कासाथ
दीपक एक प्रेम का प्रशस्त मार्ग है आप।।
115-
पर्व लोकतंत्र द्वेष द्वंद का भाव
जनता जानती नेताओ का हाल।।
116-
देश प्रेम स्वांग है जन जानत सच
पर्व लोकतंत्र का हो रहा बेअर्थ।।
117-
बृद्ध युवा असहाय जन जागरण राष्ट्र
भाई बंद करो चोचले सत्य सार्थकबात ।।
118-
मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास
जनता जनार्दन ही लोक तंत्र की आस।।
119-
मोल मत है सहभाग के बोल
सरकार आधार सुदृढ़ अनमोल।।
120-
निर्भय परख विचार इर्ष्या संसय त्याग
निरपेक्ष सार्थकता जिम्मेदार समाज।।
121-
अर्थहीन अधिकार न हो कोई भी हो
मत महत्वपूर्ण ऊपयोगी रहीम रमेश।।
122-
मतपत्र मत पेटिका बदल गया रूप
तकनीकी युग मे लापरवाही नही कबूल ।।
123-
मत सम्मत से ही राष्ट्र समाज विकास
जनता जनार्दन को लोक तंत्र की आस।।
124-
राष्ट्र समर्पित नेतृत्व बहुमत ताकत सारः
लोकतंत्र शक्ति जन कल्याण प्रभाव।।
125-
चिंतन सापेक्ष निष्ठा कार्य परिणाम
जाती धर्म नही उचित निष्पक्ष व्यवहार।।
126-
देन लेन अपना नही देश राष्ट्र का दांव
वाह वाह कि चाह दिया सब गंवाया।।
127-
यश मिला नही नित जो था रहे गंवाए
पश्चातप नही लूट रहा सब हो रहे कंगाल ।।
128-
करनी भरनी सत्य नही भाग्य का खेल
भाग्य भगवान सच करनी धरनी मेल।।
129-
आज अतीत भविष्य जैसे रेल
करनी भरनी भाग्य सटीक बेमेल।।
130-
कृपा दया नही चाहिए उचित सत्कार
ज्ञान योग बैराग्य तपस्या ही मान।।
131-
धन बैभव लक्ष्मी माया सब अंधकार
सूरज सूर्य भी माया काया उजियार।।
132-
सूर्योदय संध्या दिवस पल प्रहर प्रवाह
नित निरंतर जग खेल है बेसुरा बेराग।।
133-
षड्यंत्र कि बात नही कहते सब सत्य
निर्भय प्रजा जन सत्यार्थ लोक तंत्र।।
134-
टांग खींचना परस्पर जन हित कि रार
साथ खड़े मंच पर स्वांग प्रपंच कि बात।।
135-
रैली रेला हुंकार बढ़ा चुनावी ताप
विजय मान मैदान में जैसे हो निःष्पाप।।
136-
जीवन जेल यात्रा अंतर ट्रॉयलअरु वेल
जीवन बहुत झमेला भोगअरुकलेश।।
137-
कटता नही टिकट शांत चित्त न विवेक
दल दल बुल बुला जैसे शस्त्र अनेक।।
138-
हरियाली झूमती बाली शगुन सुगंध विशेष
अविनि काया माया प्राणि जीवन खुशी अनेक।।
139-
लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार
घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।
140-
लोलुपता निर्लज्जता सत्य सार्थक धार
घर जेल घालमेल सत्ता शासन हथियार।।
141-
बिंदिया चूड़ि कंगना एक दूजे का साथ
पतित पावनी पतन चलन चरित्र संघार।।
142-
कीच पुष्प में अंतर नही पैरों रौंदे जात
इत्र सुगंध दुर्गंध रंग बदरंग सब साथ।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।