समसामयिक घटना पे वार कर रही हूं
तीर शब्दो के बना कर
लेखनी मे धार कर रही हूं
कुछ नही बस सम सामयिक
घटना पे वार कर रही हूं
न जाने क्यूं? और कब तक ?
अशिक्षा और स्वच्छता
अभिशापित है |
कही किसी बच्चे कीशिक्षा
गरीबी की मार सह रही है
कही शहर की गाथा
गंदगी बयॉ कर रही है
भारतीयता पर गर्वित हो रही हूं
पर निंदनीय अपराध से शर्मिंदा हो रही हूं
घात शब्दो के बना कर
जागरुकता का प्रयास कर रही हूं ..
जन जन को आवाज देकर
गरीबो की शिक्षा एवं स्वच्छता हेतु प्रेरित कर रही हूूं
अब नही तो कब वो वक्त आएगा
जब भारत चहुंओर विकसित हो जाएगा
बस यही उम्मीद बार बार कर रही हूं
स्वयं की लेखनी को धार धार कर रही हूं
नीरा रानी