समर्पित प्रेम
मैं कहता हूं कसम से तुमसे ही मैं प्यार करता हूं ,
दीवाना हूं तुम्हारा खुद को तुम पर वार करता हूं ,
मैं कहता हूं जमाने से तुम्ही तो जान हो मेरी ,
यह मेरा दिल जो कहता है वही इजहार करता हूं ।
मोहब्बत कर तो ली तुमसे मगर तुम रास ना लाई ,
तुम्हारे दिल को मेरी धड़कनों के पास ना लाई ,
मैं तो समझा था कि तुम भी मुझे ही प्यार करती हो ,
मगर मेरी समझ पर तुम कोई विश्वास ना लाई ।
मैं चाहूंगा तुम्हें फिर भी दूर मुझसे भले जाओ ,
किसी भी और कि चाहे पनाहों में चले जाओ ,
मैं समझूंगा मेरी किस्मत में तेरा प्यार ना होगा ,
भले ही प्यार ना दो तो तुम्हारा बेर दे जाओ ।
तुम्हारे बैर को पाकर मैं अपने गम छुपा लूंगा ,
ये दिल रोया अगर तो अश्क को खुद ही दबा लूंगा ,
ना पाया प्यार तेरा इसका मुझको गम नहीं होगा ,
मैं खुद किस्मत हूँ पाया बेर ये ही मन मना लूंगा।
मेरा ये दिल तुम्हारी फिर भी हरदम चाह रक्खेगा ,
तुम्हारी खुशनसीबी की ही ये परवाह रक्खेगा ,
रहोगी खुश हमेशा ही ये होगी कामना मेरी ,
दुआओं में तुम्हें “कान्हा” सदा आबाद रक्खेगा ।
?सर्वाधिकार सुरक्षित?
कान्हा सोनी “रसिया’…… ✍