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8 Jul 2021 · 7 min read

*”समर्पण”*

“समर्पण”
निर्मला अपने बेटे के प्रति हमेशा चिंतित रहती , क्योंकि वो कुछ कामकाज नही करता था दिनभर घर पर ही बैठे रहता इधर उधर घूमता रहता भूख लगने पर खाना खाता फिर सो जाता था।एक दिन माँ ने कहा – कुछ काम भी कर लिया कर दिन भर इधर उधर घूमता हुआ खाना खाकर खटिया में पड़ा रहता है।दो चार पैसे कमाकर लाएगा तो घर का खर्च निकल जायेगा तेरे पिता जी भी हमें छोड़कर चले गए हैं अब हम दो प्राणी मात्र है कुछ काम धंधा ढूढ ले जिससे हम दोनों की गुजर बसर हो जाएगी।
जीवन निर्वाह करने के लिए कुछ मेहनत मजदूरी काम करना जरूरी है।
दूसरे दिन बेटा अरुण काम की तलाश में निकल पड़ा उस दिन उसको किसी ने कहा- बकरी चराने का काम है करेगा अरूण ने बोला ठीक है ये काम आसान है कर लूँगा।
अब उसे बकरी चराने का काम मिल गया दिन भर सुबह से शाम तक जंगलों में बकरी चराया मालिक ने कहा – आज दिन भर जंगलों में घूमकर बकरी चराने का बहुत अच्छा काम किया है उसे एक बकरी ईनाम के तौर पर दे दिया गया उस बकरी को लेकर जब घर आ रहा था तो बकरी जंगल में कहीं इधर उधर चली गई घर खाली हाथ पहुँच गया …..!
घर वापस लौटते ही माँ ने पूछा – आज सारा दिन क्या किया कौन सा काम किया और क्या लाया …? इस पर अरुण ने बताया माँ आज मुझे बकरी चराने का काम मिला था सुबह से शाम तक बकरी चराई घर आते समय मालिक ने काम के बदले उपहार स्वरूप एक बकरी दी थी उसे मैं लेकर आ रहा था लेकिन वो जंगल में कहीं इधर उधर चली गई मेरे साथ नही आई।
तब माँ ने कहा – ठीक है कोई बात नही चल हाथ मुँह धोकर खाना खा ले।
कल जब काम करने के बदले कुछ मिले तो उसे बांधकर ले आना एक रस्सी साथ में ले जाना अरुण ने बोला ठीक है माँ ऐसा ही करूँगा।
सुबह जब काम पर जाने लगा माँ ने उसके हाथ में रस्सी दे दी अरुण काम पर निकल गया ….
आज उसे एक दूध डेयरी फार्म पर काम मिल गया सुबह से शाम तक दूध डेयरी फार्म में काम किया दुकानदार ने उसे कुछ मक्खन दे दिया।
अरुण ने वो रस्सी निकाली जो माँ ने घर से निकलते समय दिया था दुकानदार द्वारा जो मक्खन दिया गया था उसे कसकर रस्सी में बांध लिया और घर की ओर चल पड़ा …..
रास्ते में चलते वक्त उसने कुछ देखा भी नही बस रस्सी में मक्खन बांधे हुए कंधे पर रखकर घर की तरफ चल पड़ा था रास्ते में मक्खन इधर उधर बिखर गया था। घर पहुँचने तक उस रस्सी में मक्खन नही बचा था …
आज फिर माँ ने पूछा अरुण बेटा आ गया आज तुमने क्या काम किया उसने बताया – माँ आज दूध डेयरी फार्म में दूध दही मक्खन बेचने का काम किया मालिक ने मुझे बहुत सारा मक्खन दिया था तुमने कहा था आज जो भी मिले उसे रस्सी में बांध कर ले आना।मैंने मक्खन को रस्सी से बांध कर ला रहा था घर आकर देखा रास्ते पर आते आते रस्सी में कुछ भी नहीं बचा सारा मक्खन बिखर गया अब मैं क्या करूँ कुछ समझ नही आया …..
अब माँ ने कहा – ठीक है कल सुबह जब काम पर जाओ तो एक थैली ले जाना जो भी मिलेगा उस थैली में अच्छे से रखकर लेते आना।
आज फिर खाना खाकर सो गया सुबह उठकर जब काम करने जा रहा था तो माँ ने कहा – लो आज ये थैला लेकर जाओ काम करते समय जो भी सामान मिलेगा उसे अच्छी तरह इस थैली में रखकर ले आना …..
अब अरुण घर से थैला लेकर काम करने निकल पड़ा ……
आज उसे तेल कंपनी में तेल के पीपे डिब्बे उठाने का काम मिला ,सुबह से शाम तक काम करने के बाद मालिक ने तेल दे दिया उसने थैले में तेल रखा और घर की ओर चल पड़ा।रास्ते भर थैले से तेल रिसता हुआ चला गया।
घर आने पर माँ ने पूछा – अरुण बेटा आज कौन सा काम किया तो कहने लगा – आज तेल कंपनी में तेल के पीपे ,डिब्बे उठाने का काम किया बदले में मालिक ने जो तेल दिया उसे थैले में डालकर ला रहा था पता नहीं रास्ते भर वो तेल थैली में से रिसता हुआ चला गया मुझे बिल्कुल भी पता नही चला आखिर तेल थैली में से कैसे गिरता चला गया।
तुम्हीं बताओ न मैं अब क्या करूँ ….माँ भी सोचने लगी कल इसे कौन सी तरकीब बताऊँ जिससे सामान भी ले आये और इसके काम का मेहनताना मिल सके। आखिर ये मेहनत से जी नही चुराता है लेकिन जरा सा नासमझ है दिमाग कमजोर होने के कारण अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नही कर पाता है।ठीक है कोई बात नही कभी न कभी इसकी किस्मत भाग्य पलटेगी और कुछ न कुछ अच्छा होगा।
ऐसा सोचकर माँ ने कहा – चल अभी खाना खाकर सो जा सुबह देखते हैं।
अरुण सुबह उठकर तैयार हो गया माँ ने कहा – आज जो कुछ भी मिलेगा उसे अपने सिर पर उठाकर ले आना …अच्छा माँ कहकर घर से निकल पड़ा …आज उसे गधा चराने का काम मिल गया था सारा दिन गधे को चराते रहा शाम को मालिक ने एक गधा ही दे दिया था। आज माँ ने कहा था कि जो भी मिले उसे सिर पर रखकर लेते आना ,अरुण ने वैसा ही किया गधे को सिर पर उठाकर चल रहा था रास्ते में महल की खिड़की से यह दृश्य देखकर जोर से खिलखिला कर हँस पड़ी तो जब राजकुमारी हँस रही थी तो राजा ने सोचा आज न जाने किसको देखकर राजकुमारी के चेहरों पर हँसी आ गई है।
उसने अपने सैनिकों से कहा – जिस व्यक्ति ने राजकुमारी को हँसाया है उसे लेकर हमारे सामने पेश करो ….
राजकुमारी कितने दिनों तक गुमसुम उदास बैठे रहती थी आज उसके चेहरे की हँसी वापस लौट आई है।राजकुमारी को हंसाने वालो को ईनाम रखा गया था जो व्यक्ति राजकुमारी की चेहरे की हँसी वापस लाएगा उसे अपना संपूर्ण राजपाट दे दूँगा और उस हंसाने वाले व्यक्ति से राजकुमारी की शादी कर दी जाएगी।
तुरन्त उस व्यक्ति याने अरुण को जो गधे को सिर पर रखकर घर की ओर जा रहा था उसे बुलाकर राजा ने उससे सारी बात बतलाते हुए राजकुमारी से शादी का प्रस्ताव रखा।
अरुण को बहुत सारा धन दौलत ,हीरे जवाहरात अनमोल मोतियों का खजाना देकर कहा – आज से ये सारा राजपाट तुम्हारा है तुम इन सबके हकदार हो।
तुमने मेरी बेटी याने राजकुमारी जो हँसना बिल्कुल भी भूल गई थी गुमसुम सी उदास रहने लगी थी आज तुमने उसे हँसा कर मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है।
मैनें राजकुमारी के चेहरे पर हँसी लाने के लिए ईनाम घोषित किया था।
आज अरुण पूरे राजसी ठाठबाट के साथ बाजे गाजे के साथ शाही सवारी में बैठकर घर आ रहा है।
निर्मला घर से बाहर निकल कर देखती है तो अपने बेटे अरुण को राजसी ठाठबाट सवारी के साथ आते देख खुद पर यकीन नही करती है उसे ये नजारा देखने के बाद कुछ समझ में ही नही आ रहा है ये सब कैसे संभव हो गया है।
मेरा बेटा तो दिमाग से कमजोर निठल्ला है आज उसने ऐसा कौन सा बड़ा काम कर दिखाया है जो उसे इतना बड़ा ईनाम मिल गया है।
माँ आरती की थाली सजाकर घर के दरवाजे पर खड़ी हो जाती है अरुण बेटे की और राजकुमारी की आरती उतारने के बाद घर के अंदर प्रवेश करने के बाद पूछती है।
अरूण बेटा आज तुमने ऐसा क्या काम किया जो इतना सारे उपहार के साथ राजकुमारी को व्याह कर घर ले आये हम तो बहुत छोटे जाति के हैं राजा ने तुम्हें कैसे स्वीकार कर लिया है।
अरूण ने आज का वाकया सुनाया ,माँ आज आपके कहे अनुसार मुझे जो मिला था उसे सिर पर उठाकर ला ही रहा था।आज मुझे गधा चराने का काम मिला था और गधा ही उपहार में मिला था मैं उसे सिर पर रखकर ला रहा था तभी रास्ते में महल की खिड़की से राजकुमारी ने मुझे देख खिलखिला कर हँस पड़ी थी।
राजा ने राजकुमारी के हँसने पर जो ईनाम रखा गया था।राजा के सैनिक मुझे पकड़कर राजदरबार में ले गए और राजा ने अपनी पूरी बात बतलाया राजकुमारी का हाथ मेरे हाथ में सौंप दिया ढेर सारा धन दौलत हीरे जवाहरात व अपना राजपाट मुझे सौंप दिया है।
मुझे तो कुछ भी समझ नही आ रहा है माँ मैं इतने सारे धन दौलत हीरे जवाहरात का क्या करूँगा।
माँ ने कहा – अरूण बेटा तू बहुत भोला सीधा सच्चा इंसान है तू धन्य है जो मेरे प्रति हमेशा समर्पित होकर माँ के ही बताये गए नक्शे कदम पर चलता रहा ईमानदारी से अपना काम मेहनत से करता रहा किसी का दिल नही दुखाया है। आज यहां तक पहुंचने का मार्ग माँ के प्रति सच्ची श्रद्धा विश्वास व “समर्पण” की भावना की वजह से तुम्हें ये उपहार प्राप्त हुआ है।
अरुण कहने लगा – माँ मुझे तो ये धन दौलत हीरे जवाहरात किसी काम का नही है लेकिन जीवन में आपके मार्गदर्शन में जैसा कहोगी वैसा ही काम करते ही रहूँगा।
माँ के चरण स्पर्श करते हुए झुक गया और राजकुमारी ने भी अपने सासु माँ के चरणों मे झुक गई थी……! ! !
आज माँ के प्रति “समर्पण की भावना चरम सीमा पर थी ……! ! !
जय श्री राधेय जय श्री कृष्णा ?
शशिकला व्यास

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