समर्थक
कौन बैठेगा कुर्सी पर
किसी को ये पता नहीं
सब वक्त के हाथ में है
कल क्या होगा पता नहीं।।
लड़ते है हम लोग फिर
इस तरह किसके लिए
जब भी होते है चुनाव
हाथों में डंडे लाठी लिए।।
किसी की कार, दुकान और
किसी का घर जल जायेगा
ऐसे माहौल में मुमकिन है
किसी का कत्ल हो जायेगा।।
तू भीड़ से ही तो आया था
कल भीड़ में खो जायेगा
जो आज घर उसका जला है
कल वो तेरा भी जलाएगा।।
कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें
बस बाद में पछताएगा
जब सत्ता पर कोई और
ही काबिज हो जाएगा।।
आपसी मन मुटाव ही
अब लोगों में रह जायेगा
लड़ रहा था चुनाव जो
सत्ता से मिल जाएगा।।
संभल जाओ अब आपसी
रिश्तों को और मत बिगाड़ो
समर्थक दूसरे दलों के है जो
दुश्मन नही है ये बात मानो।।
जो चुनाव जीतेगा वही
यहां सरकार चलाएगा
लड़ते हो जो अभी यहां
बाद में सब भूल जायेगा।।
भीड़तंत्र से लोकतंत्र की नहीं
सिर्फ दलों की ताकत बढ़ती है
लोकतंत्र की ताकत तो केवल
आपके मतदान से बढ़ती है।।