समय 135
चलते रहते हम यहाँ, थाम समय की डोर
सुख दुख जीवन में सदा, करते भाव विभोर
करते भाव विभोर ,समय के ये बंजारे
इसी समय के हाथ, हमेशा हम हैं हारे
कहे ‘अर्चना’ बात, फैसले इसके खलते
पर होकर मजबूर,समय के सँग हम चलते
20-06-2023
डॉ अर्चना गुप्ता