समय
-: समय:-
एक दिन की बात है,मैं यूँ ही रास्ते से जा रही थी,
तब मुझे एक दादा जी मिले, मैंने पूछा नाम तो बोले समय।
तब मैंने बोला,की आपका नाम तो सुना-सुना सा लग रहा है,
तब वो बोले,बेटी मैं वही हूॅं, जो तू सोच रही है।
फिर वो बोले, मैं वो समय वाला समय नहीं हूॅं,
फिर भी मैं तुझे समय की व्याख्या बताऊॅंगा ,
मैंने भी बचपन से लेकर,अभी तक समय का दुरुपयोग किया,
और देख उसका परिणाम मुझे किस रूप में मिला।
मैंने अपने आलस्य के कारण अपनें उद्देश्य को खो दिया,
इसलिए ज़िंदगी भर सबके लिए बोझ ही बना रहा।
लेकिन मेरी किस्मत ने भी क्या इंसाफ किया,
अपनों ने ही देकर धक्का घर से निकल दिया।
अब बता,मेरी ज़िंदगी की इस कहानी से,तुझे कुछ सबक मिला??
फिर बोले,बेटी ज़िंदगी में हर पल का सदुपयोग करना,
क्योंकि तुझे है,अभी बहुत आगे बढ़ना।
यदि समय के महत्व को अब भी न समझी,
तो जीवन भर पछताएगी,
मेरी तरह तू भी, गैरों और अपनों की बात छोड़,
खुद पर भी बोझ बन जायेगी।
फिर बोले-बोल क्या जीना चाहेगी, तू ऐसी ज़िंदगी
और मैंने दादा जी से वादा किया,की ज़िंदगी के हर पल का उपयोग करूंगी।
थोड़ा सा समय भी व्यर्थ न जानें दूॅंगी।
और अपने स्वाभिमान को सबसे ऊपर रखूॅंगी।
तब दादा जी की आॅंखों से आॅंसूं निकल पड़े।
और वो उम्मीद के साथ खिलखिलाकर हॅंस पड़े।
मैंने उन्हें धन्यवाद दिया,और आगे की ओर बढ़ी,
मैंने एक कदम बढ़ाया,फिर पीछे मुड़ कर देखा तो दादाजी वहाॅं नहीं थे।
दादा जी एक तारे बनकर आसमां में मुस्कुरा रहे थे।।
Note:- I did waste my time and still I’m doing the same.If I’ll continue this so I’m sure that it’ll become my biggest regret.Time is precious more than anything so use it well