समय
युगों युगों से निरन्तर
समय अपनी धुरी पर
गतिमान ही है ।
समय का मूल्य परखना है तो
समय की प्रतीक्षा में निरन्तर तपनिष्ठ
माँ अहित्या व शबरी के उद्धार को,
स्वयं राम को कुटिया तक आते देखो
और महान भगीरथ के लिए
माँ गंगा का धरा अवतरण देखो ।
समय का बल परखना है
तो सत्यवादी हरिश्चन्द्र,
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम,
वासुदेव श्रीकृष्ण आदि
विभूतियों पर समय के
सब अनगिन प्रहार देखो ।
साथ ही सीख पाओगे
समय की गति व दिशा के साथ
सरलता से बहे जाना,
और समय के पहिए पर
अपनी प्रगति के चिन्ह छोड़ते जाना,
ताकि हमारी भावी पीढ़ी
सरलता से स्वपथ पहचान
स्वयं के ही नहीं अपितु
विश्वकल्याण पथ पर बढ सके ।