समय..
समय…
समय!
तू (सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान ) है
तेरी सत्ता का वर्चस्व,
छाया हुआ है;
जग के प्रत्येक कण पर
तेरी शक्ति के समक्ष, हर कोई
जैसे बौना है|
देव ,मानव -सभी
तेरी आज्ञा के गुलाम !
किसी में साहस नहीं, जो
तेरी शक्ति से करें इंकार
तेरे अस्तित्व को
दें चुनौती ;
तेरी सर्वज्ञता को करें/अस्वीकार
तेरी सत्ता से करें/ बगावत
यदि किसी ने ऐसा किया,तो
तेरे क्रोधाग्नि ने,उसके
हर आशा को/ जलाकर
कर दिया भस्म,
मिटा दिया अस्तित्व
बना दिया अकिंचन !
रह गया वह स्वंय में
खुद को बचाने के लिए,
लेना पड़ा तेरा नाम !
बनाना पड़ा तुझे ,सहारा
मानना पड़ा….
तू है-सर्वशक्तिमान |
डॉ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ प्र)