” समय “
” समय ”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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अक्सर लोगों की यह शिकायत रहती है कि समय हमको मिलता नहीं ..दिनभर काम ही काम ..सुबह उठते हैं ..बच्चों को तैयार करते हैं ..ऑफिस में शाम तक लगे रहते हैं ..घर का काम..बच्चों के होम वर्क को देखना पड़ता है ! ऐसी शिकायतें प्रायः -प्रायः सभी वर्गों से सुनने को मिलती हैं ! पर यह भी बातें गौर करने वाली है कि हरेक व्यक्ति अपने अपने व्यक्तिगत “हॉबी और एक्स्ट्रा- कर्रिकुलर “और “गेम्स -स्पोर्ट्स” के बन्धनों में बंधा रहता है ! ….”हॉबी” व्यक्तिगत विधा है जिसे अपनाकर मात्र आनंद का एहसास होता है …किताबें पढना ..संगीत सुनना …फोटो शूट करना ….फिल्म देखना ..प्राकृतिक अवलोकन ..कविता लिखना ..इत्यादि-इत्यादि ! और …….”एक्स्ट्रा -कर्रिकुलर एक्टिविटी” की क्रिया सामूहिक मानी जाती है ..नाटक ..डिबेट ..डिस्कसन ..पिकनिक ..सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादि ! …..तीसरी विधा से भी हम प्रायः -प्रायः अछूते नहीं रह सकते ! वे हमारे “गेम्स और स्पोर्ट्स” हैं ! ….कोई क्रिकेट खेलता है ..कोई टेबल टेनिस ..हरेक व्यक्ति कुछ ना कुछ खेलों से जुड़ा रहता है ! …समय सबों को बराबर मिला है ..हमारे हाथों में २४ घंटे रहते हैं ! हरेक व्यक्तिओं ने इन अनमोल क्षणों का सदुपयोग किया ! आज यदि हम अपने चारों ओर देखें तो हमें इतिहास के पन्नों को उलटने की जरुरत नहीं होगी ..सफलता उन्हें ही मिलती है जो समय का भरपूर सकारात्मक उपयोग करते हैं ! मित्र तो लाखों हमने बना लिये पर हम संवादविहीनता की चादर को अभीतक ओढ़े हुए हैं ! कम से कम उनलोगों के लिए दरवाजा खोल दें जो निरंतर आपके दरवाजे को दस्तक दे रहे हैं !
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“है हमारे दिन गिने
इस धरा पे
कल न जाने हम यहाँ पर हो न हों !
आज का क्षण क्यों ना स्वर्णिम
हम बनालें ?
इतिहास के पन्नों में क्यों ना
अपना घर बना लें ?”@लक्ष्मण
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड